Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti – Episode 16

This story is part of the Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti series

    आज के दिन भी जब मैं मेरे मन की उस समय की हालत के बारे में सोचती हूँ तो मेरे जहन में एक अजीब सी सिहरन दौड़ जाती है। पर मुझे योग को देर कर के नाराज भी तो नहीं करना था।

    मैंने योग का लण्ड अपनी उँगलियों में पकड़ा और प्यार से मेरी चूत की पंखुड़ियों पर हलके से रगड़ा।

    फिर मैंने अपनी चूत की पंखुड़ियों को थोड़ा सा फैलाया और मेरी उंगली उसमें डाली। मैं अपने स्त्री रस का रिसना महसूस कर रही थी। मेरी चूत में से जैसे रस की धारा बाह रही थी।

    मेरे योगराज के लण्ड को मेरी चूत की सतह पर योग का लण्ड रगड़ ने से मैंने महसूस किया की वह चिकनाहट से लदा लद लिपटा हुआ था। मुझे थोड़ा सा ढाढस हुआ की शुरुआत में तो मुझे उतनी तकलीफ नहीं होगी।

    योग भयानक आँखें निकालकर मुझे ताक रहे थे और अपना फनफनाता लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ने की लिए मचल रहे थे।

    उन्होंने अपना लण्ड घुसेड़ते हुए मेरी और वही बीभत्स पूर्ण हास्य के साथ देखा और उनका वह सुनहरा दाँत एक बार फिर देख कर मैं डर के मारे काँप उठी।

    वह ऐसे देख रहे थे जैसे कोई विजेता जीती हुई ट्रॉफी के साथ पोज़ दे रहा हो। मैं योग का यह भयावह रूप और उसके ऊपर अपने इतने मोटे और लम्बे लंड को हवा में हिलते हुए देख कर मेरा क्या हाल हुआ होगा उसका अंदाज़ आप नहीं लगा सकते।

    पर फिर मुझे एक कहावत याद आयी की “अगर आपके साथ जबरदस्ती हो रही हो और आप इसके बारे में कुछ भी नहीं करने की स्थिति में हो तो उसे एजॉय कीजिये।”

    जब मेरा योग से चुदना तय ही है तो फिर भला मैं हाय हाय क्यों करूँ? क्यों मैं उसे एन्जॉय ना करूँ? वैसे भी मेरी कई महीनों से इच्छा थी की मुझे योग से चुदवाना था। तो फिर मौक़ा मिला ही है तो मैं इस चुदाई का मजा क्यों ना उठाऊं?

    योग मेरी चूत में अपना लण्ड डालने के लिए उतावले हो रहे थे। मेरी जान हथेली में थी की मैं योग का लंड कैसे ले पाउंगी। इस लिए जरुरी था की योग मेरी चूत, में अपना लण्ड धीरे धीरे डाले।

    मुझे उसके लिए कुछ न कुछ तो करना ही था। मैंने योग की और देखकर बड़े प्यार से देखा और कहा, “योग ज़रा आराम से प्लीज?”

    योग ने मेरी और तेज तर्रार नज़र से देखा और पूछा, “आराम से क्या?”

    मैं समझ गयी की योग मुझसे खुल्लम खुल्ला बात बुलवाना चाहता था।

    मैंने झिझक ते हुए कहा, “योग मुझे आराम से चोदना प्लीज! प्लीज मुझे आहात मत करना प्लीज? क्या तुम मुझे बार बार चोदना नहीं चाहोगे?”

    योग उसी बीभत्स तरीके से ठहाका मारकर हंस कर बोला, “क्या बात है! मैं तुन्हें एक बार नहीं बार बार चोदना चाहता हूँ। जब तक तुम बूढीया ना बन जाओ और मैं तुम्हारी चूत का हुलिया बिगाड़ ना बना डालूं तब तक तुम्हें चोदता रहूंगा।”

    मैंने योग को बड़े प्यार से कहा, “योग डार्लिंग, मैं भी तुम से बार बार चुदवाना चाहती हूँ इसी लिए कहती हूँ की मेहरबानी करके लण्ड प्यार से और धीरे से डालो।”

    मेरी बात सुनकर योग फिर एक ठहाका मार कर हँसे और बोले, “ठीक है, मेरी प्यारी राँड़ चलो मैं आपकी यह बात मान लेता हूँ। पर याद रहे, यह आखरी बार हम आपसे नरमी से पेश आएंगे। फिर हम नरमी से नहीं पेश आएंगे क्यूंकि वह हमारी स्टाइल नहीं है।” और फिर वही भयावह हँसी और वही सुनहरा दाँत।

    योग ने पहला धक्का धीरे से दिया। मुझे अच्छा लगा। योग का लण्ड थोड़ा सा ही घुसा था और काफी मोटा और कड़ा था।

    पहली बार मुझे ऐसा महसूस हुआ की मैंने वाकई में कोई मरदाना लण्ड को अपनी चूत में महसूस किया था। वह कोई भी मोटे से मोटे केले से भी मोटा था।

    मुझे मिली एक राहत खतम हो चुकी थी। अब मुझे भुगतना ही था। योग ने एक और धक्का दिया और उस समय मेरी चूत में से कटार की तेज धार से कट ऐसा शूल मझे महसूस हुआ।

    मेरी चूत योग के लण्ड ने ऐसी जकड राखी थी की उसका और अंदर जाना नामुमकिन था। और फिर भी योग थे की उसे और घुसेड़ने की कोशिश कर रहे थे।

    मैंने योग से कहा, “योग, प्लीज धीरे से डालो यार। तुम मुझे मार डालोगे क्या?”

    योग ने मेरे दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में लकड़ रखा था और उन्हें इतनी जोर से दबा कर अपना मोटा लौड़ा वह मेरी चूत में घुसेड़ने के लिए अग्रसर हुआ।

    उसने एक जोर से कमर से अपने लण्ड को धक्का दिया। उस समय मेरे दिमाग में सिर्फ योग का लण्ड ही था। मैं उसे मेरी चूत को फाड़ते हुए महसूस कर रही थी।

    मैं एकदम परेशान हो रही थी। मुझे लगा की मेरी चूत में से खून निकलना शुरू हो गया था। अगर योग ने और एक धक्का जोर से मारा तो वह मेरी चूत की चमड़ी को फाड़ डालेगा और मेरी चूत में से इतना खून बहेगा की खून की कमी के कारण ही मैं मर जाउंगी।

    मुझे इतनी जल्दी मरना नहीं था। मैं जानती थी योग आसानी से मेरी बात नहीं मानेगा। मैंने योगराज का सर मेरे दोनों हाथों में पकड़ा और उसका मुंह मेरे मुंह पर रख कर मैं उसे चुम्बन देने की लिये प्रेरित किया।

    मैं जानती थी की योग सीधे स्पष्ट खुल्लम खुल्ला चोदना, चूत, लण्ड ऐसा बोलने से ज्यादा खुश होता था। उसे सेक्स, लिंग, योनि जैसे गोल मोल शब्दों से नफरत थी।

    जैसे ही हमारे होंठ मिले की मैंने योग के कानों में कहा, “योग तुम्हारा लण्ड इतना मोटा मरदाना है और मेरी चूत छोटी सी जनाना है। थोड़ा रहम करना प्लीज! डार्लिंग, प्लीज थोड़ा सा धीरे से चोदो ना प्लीज?” मैंने फिर वही बार बार प्लीज कहने का फॉर्मूला अपनाया।

    मुझे लगा की मेरी बिनती का कुछ कुछ असर तो हुआ। योग रुक गया। पर फिर उसने एक और धक्का दिया और उसका मोटा और लंबा लण्ड मेरी चूत में आधा घुस गया। मैं तब सहनशीलता की मर्यादा पार चुकी थी।

    मैं योग का गला पकड़ा और उसे हिलाते हुए बोली, “तुम सुनते नहीं हो क्या? क्या तुम थोड़ी नरमी नहीं बरत सकते? कैसे प्रेमि हो? तुम्हे अपनी प्रेमिका से प्यार करना आता नहीं क्या?”

    योग मेरी बात सुनकर ठहाका मार कर हँस पड़ा और बोला, “प्रेम और तुमसे? मेरी जूती से! मैं तुम्हें प्रेम करना नहीं चोदना चाहता हूँ। ओ मेरी रंडी, मैं तुमसे जबरदस्ती करना चाहता हूँ। साली कुतिया। तुम क्या समझती थी? तुम योग से भी ज्यादा स्मार्ट हो? तुम सोचती थी की योग तुम्हारा काम भी करेगा और तुम्हें चोदेगा भी नहीं? तुमने कैसे सोचा की योग तुम्हारी चिकनी चुपड़ी बातों में आ जायेगा और खुद महेनत करके तुम्हें एक सफल महिला प्रोफेशनल का ताज पहनने देगा और खुद अपना अंगूठा चूसता रहेगा? अगर तुमने यह सोचा है तो तुम गलत फहमी में हो।”

    योग गंदे और आक्रामक शब्द प्रयोग के साथ अपना तगड़ा लण्ड मेरी नाजुक चूत में उतनी ही आक्रामकता से घुसेड़े जा रहा था। मुझे मेरी चूत में भयंकर शूल सा दर्द हो रहा था। मेरे कपाल पर पसीना बह रहा था।

    जैसे जैसे योग ने अपना लण्ड मेरी चूत में ज्यादा और ज्यादा घुसेड़ा मेरा दर्द बढ़ता ही गया। पर साथ में वह दर्द मुझे पता नहीं क्या पागलपन सा आनंद भी दे रहा था। ऐसा आनंद मुझे मेरे पति से चुदवाने में कभी नहीं मिला।

    पर फिर भी मुझे योग की रफ़्तार कम करवाना जरुरी था। मेरी चूत में से खून बह रहा था। अगर योग इसी तरह मुझे चोदते रहे तो खून के बहाव से पूरा बिस्तर गीला होजायेगा और मुझे डर था की दर्द और खून के बहाव से मैं कहीं मर ना जाऊं।

    दर्द के मारे मैं डर को भूल कर जोर से चिल्ला उठी, “योग, क्या कर रहे हो? तुम्हें थोड़ी सी भी तमीज़ नहीं है क्या? थोड़ा धीरे करो।”

    जैसे मेरे मुंह से यह शब्द निकले की जैसे मैं डर रही थी वैसा ही हुआ। योग ने अपना हाथ ऊपर किया और एक जबरदस्त तमाचा गाल पर पाने को मैं तैयार हुई।

    परन्तु मैंने महसूस किया की गाल पर करारा थप्पड़ के बजाय कोई मेरे गाल पर और कन्धों पर हलके फुल्के मुझे टपलियाँ मार रहा था और मुझे झकझोर रहा था।

    तब फिर मैंने योग की आवाज सुनी। पर उस समय उनकी आवाज बड़ी मधुर और नरम थी। वह कह रहे थे, “उठो डार्लिंग, उठो!”

    मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था, की मेरे चारों और क्या हो रहा था। मेरा सर चक्कर खा रहा था।

    मैंने धीरे से अपनी आँखें पूरी खोलीं। मैं एकदम हड़बड़ा कर जाग गयी। योग मेरे सामने पुरे कपडे पहने हुए खड़े थे और मेरी आँखों में आँखें डालकर मुझे जगाने की कोशिश कर रहे थे।

    जब मैंने अपने बदन को देखा। मैं भी पुरे कपडे पहने हुए साफ़ सुथरी सोफे पर लंबा हो कर लेटी हुई थी। ना कोई खून ना ही कोई फटे हुए कपडे। हाँ मेरे कपाल पर जरूर पसीना बह रहा था।

    मैं समझ गयी की मैं नींद में ही योग के साथ आक्रामक चुदाई का सपना देख रही थी। मैंने अपनी आँखें मली और धीरे धीरे लुढ़कती हुई खडी होने की कोशिश करने लगी। योग ने कड़ी होने में मेरी मदत करी!

    क्या मेरा सपना हकीकत में बदलेगा? या फिर कुछ और ही होना बाकि है? जानिए अगले एपिसोड में सिर्फ देसी कहानी डॉट नेट पर!

    [email protected]

    Leave a Comment