पिछला भाग पढ़े:- पड़ोसी ने तोड़ी मेरी दीदी की सील-27
हिन्दी सेक्स कहानी अब आगे-
एक शाम मैं अपने कमरे में था। तभी मुझे हॉल से उनकी आवाज़ें सुनाई दीं। मम्मी, दीदी और सलीम हँस-हँस कर बात कर रहे थे। मैं कान लगा कर सुनने लगा।
दीदी ने उत्सुकता से पूछा: तो सब तैयारियाँ हो गई हैं, सलीम जी?
सलीम: बिल्कुल, मेरी जान। मेरे दोस्त भी आने को तैयार हैं। वो भी तुम्हारी और मम्मी की अदाओं के चर्चे सुन-सुन कर बेताब हैं।
ये सुन कर मेरा दिमाग़ घूम गया। दोस्त? मेरी और मम्मी की अदाओं के चर्चे? ये किस बारे में बात कर रहे थे?
मम्मी ने एक शरारती हँसी के साथ बोला: तो इसका मतलब आज रात महफ़िल ज़रा और बड़ी होगी?
सलीम ने जवाब दिया: हाँ, मेरी जानेमन! और आज रात का मज़ा दुगना होगा। मेरे दोस्त भी तुम दोनों के हुनर के कायल हो जाएँगे।
उनकी बातों से मुझे समझ आ गया कि सलीम अपने कुछ दोस्तों को लेकर आने वाला था, और यह सिर्फ़ उसके और माँ-दीदी के बीच का खेल नहीं रहने वाला था। मेरी अंदर एक अजीब सी घबराहट के साथ-साथ एक अनचाही उत्सुकता भी जाग उठी। ये रात अब और भी तूफानी होने वाली थी, और मुझे नहीं पता था कि मैं इस नए खेल का सामना कैसे करूँगा।
सलीम और उसके दोस्तों के आने की बात सुन कर मैं अपने कमरे में ही सिमट गया था। मेरे दिमाग़ में बस यही चल रहा था कि आज रात क्या होने वाला है? “उनके हुनर के कायल हो जाएंगे” सलीम के ये शब्द मेरे कानों में गूँज रहे थे।
शाम होते ही, घर में एक अजीब सी हलचल शुरू हो गई। मम्मी और दीदी दोनों ने पहले अच्छे से नहाया। उनके बाथरूम से खुशबूदार साबुन और बॉडी वॉश की महक हॉल तक आ रही थी। मुझे पता था कि ये कोई आम तैयारी नहीं थी।
मैं हॉल में बैठे देख रहा था। मम्मी और दीदी दोनों पहले अपने-अपने कमरे में तैयार हो रही थी, फिर वो मम्मी के कमरे में एक साथ आई। उन्होंने दरवाज़ा खुला ही छोड़ रखा था, शायद उन्हें मेरी मौजूदगी का कोई अंदाज़ा नहीं था, या शायद अब उन्हें कोई परवाह नहीं थी।
मैंने देखा, मम्मी ने एक और भी ज़्यादा कामुक लाल रंग की नाइटी निकाली। ये पिछली वाली से भी ज़्यादा पतली और ट्रांसपेरेंट थी। उसमें लेस लगी थी और वो उनके शरीर से ऐसे चिपक रही थी, जैसे उनकी दूसरी खाल हो। उन्होंने उसे पहनते ही अपनी कमर को थोड़ा मटकाया और खुद को शीशे में देखा। उनके चेहरे पर एक चुनौती भरी मुस्कान थी।
दीदी ने भी अलमारी से एक काले रंग की साटन की नाइटी निकाली। ये भी इतनी पतली थी कि शरीर के हर उभार को साफ़ दिखा रही थी। उसमें डीप नेक था और साइड में स्लिट था जो उनकी जाँघों को और भी उत्तेजक बना रहा था। दीदी ने उसे पहनते ही अपने बालों को थोड़ा ठीक किया और मम्मी की तरफ़ देख कर आँख मारी।
दोनों ने फिर हल्के-फुल्के मेकअप किए, अपनी पलकों पर मस्कारा लगाया और होंठों पर एक चमकदार लिपस्टिक। उनके बाल भी सँवारे गए। वो तैयार नहीं हो रही थी, बल्कि खुद को सजा रही थी, किसी खास महफ़िल के लिए।
दीदी ने पूछा: तैयार हो मम्मी?
मम्मी ने कहा: आज रात तो हम आग लगा देंगे, बेटा!
ये सब देख कर मेरे अंदर एक अजीब सी उत्तेजना और घबराहट का मिश्रण उमड़ रहा था। मुझे पता था कि आज रात की महफ़िल सिर्फ़ सलीम के लिए नहीं, बल्कि उसके दोस्तों के लिए भी थी, और मेरी माँ और दीदी उस सब के लिए पूरी तरह से तैयार थी। मैं बस इंतज़ार कर रहा था कि कब मेहमान आएँगे और ये खेल शुरू होगा।
मम्मी और दीदी के तैयार होने के बाद, घर में एक अजीब सी चुप्पी छा गई थी। यह तूफ़ान से पहले की शांति जैसी थी। मैं अपने कमरे में खिड़की के पास छिप कर इंतज़ार कर रहा था।
कुछ ही देर में, दरवाज़े पर घंटी बजी। मम्मी और दीदी दोनों एक-दूसरे की तरफ़ देख कर मुस्कुराई। मम्मी ने आगे बढ़ कर दरवाज़ा खोला। सामने सलीम खड़ा था, उसके साथ दो और आदमी थे। तीनों के चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी।
सलीम ने अंदर आते ही मम्मी को गले लगाया और कहा: तैयार हो मेरी रंडी?
मम्मी ने सिर हिलाया, उनकी लाल नाइटी उनके हर मोड़ पर उनके शरीर से चिपक रही थी। फिर सलीम के दोस्त अंदर आए। एक का नाम राजू था, जो थोड़ा मोटा और मूंछों वाला था। दूसरा, अजय, पतला और लंबा था। दोनों की निगाहें सीधे मम्मी और दीदी पर टिक गई।
उनके चेहरों पर खुलेआम हवस दिख रही थी। राजू ने एक लंबी सीटी बजाई और अजय के मुँह से बस वाह! निकला।
दीदी ने एक कामुक हँसी और अपने काले रंग की नाइटी में थोड़ा इतराते हुवे कहा: आइए, आपका ही इंतज़ार था।
सलीम ने अपने दोस्तों से कहा: मैंने कहा था ना, मेरी रंडिया तुम्हें दीवाना बना देंगी।
राजू और अजय, दोनों ने अपनी आँखें मम्मी और दीदी के खुले जिस्मों पर दौड़ाई। उनकी नाइटी से जो दिख रहा था, उससे भी ज़्यादा उनकी कल्पना में चल रहा था। राजू ने सलीम के कान में कुछ फुसफुसाया, और सलीम हँस पड़ा।
कमरे में आते ही तीनों दोस्तों ने शराब की बोतलें निकाल ली। माहौल में अचानक एक अजीब सी गर्मी आ गई थी, जो अब सिर्फ़ सलीम और माँ-बेटी के बीच नहीं, बल्कि इन तीन अजनबियों के साथ बढ़ रही थी।
मैं खिड़की से चिपका यह सब देख रहा था, मेरे लंड में तनाव बढ़ने लगा था, और मैं जानता था कि यह रात और भी बेकाबू होने वाली थी।
राजू ने एक मोटी हँसी हंसते हुए कहा: क्या बात है सलीम, तुमने तो कहा था ये रंडीया ख़ूबसूरत हैं, पर ये तो उम्मीद से भी ज़्यादा निकली (उसकी आँखें मम्मी के डीप नेक पर टिकी थी)।
अजय ने अपनी सिगरेट सुलगाई और दीदी की तरफ़ देख कर लंबी कश ली और बोला: ऐसी महफ़िल तो हमने कभी देखी नहीं। आज तो रात भर जागना पड़ेगा।
मम्मी ने एक शरारती मुस्कान दी और अपने कामुक अंदाज़ में अपनी कमर थोड़ी मटकाई। उनकी लाल नाइटी उनके हर मोड़ पर उनके शरीर से चिपक रही थी।
मम्मी: स्वागत है आप सब का। आज रात का मज़ा आप कभी भूल नहीं पाएंगे।
दीदी ने एक गिलास में शराब डाली और अजय की तरफ़ बढ़ाई और बोली: आज हम सब मिल कर मौज करेंगे। कोई झिझक नहीं, कोई परवाह नहीं।
सलीम ने बीच-बचाव करते हुए कहा: तो फिर देर किस बात की? आओ दोस्तों, बैठो और शुरू करो आज की रात का जश्न।
तीनों दोस्त सोफे पर बैठ गए और शराब के जाम छलकाए जाने लगे। मम्मी और दीदी उनके पास ही बैठ गई, उनकी नाइटी से दिख रहे शरीर और भी उत्तेजक लग रहे थे।
राजू ने अपनी बेताब नज़रें मम्मी पर डाली और बोला: तुम्हारी चर्चाएँ सुन कर आए हैं हम। सुना है तुम बहुत खुला खेल खेलती हो?
मम्मी ने एक कामुक हँसी दी और कहा: जो खेलोगे, वही मिलेगा।
अजय ने दीदी की तरफ़ देख कर कहा: और तुम? तुम भी उतनी ही शरारती हो क्या?
दीदी ने एक आँख मारी और बोली: आज रात पता चल जाएगा।
उनकी बातें अब खुलेआम कामुक होती जा रही थी। शराब के नशे में उनके बोल और भी बेबाक हो रहे थे। राजू का हाथ धीरे से मम्मी की जाँघ पर सरका, और मम्मी ने कोई विरोध नहीं किया, बस मुस्कुरा दी। अजय ने भी दीदी के कंधे पर हाथ रखा हुआ था।
राजू ने मम्मी की लाल नाइटी के किनारे को पकड़ा और हल्के से ऊपर उठाया, जिससे उनकी जाँघ का और हिस्सा दिख गया।
राजू ने एक मोटी हँसी हंसते हुए कहा: मैंने सुना है, तुम रात में और भी गहरी होती हो?(उसकी नज़रें मम्मी की आँखों में थी।)
मम्मी ने एक कामुक आह भरी और अपनी आँखें राजू से मिलाई और जवाब दिया: और तुम भी उतने ही बड़े खिलाड़ी लगते हो।
अजय ने दीदी की तरफ़ देखा और उसके मुँह से धुआं निकाल कर बोला: सलीम ने कहा था, तुम दोनों बिस्तर में शेरनी हो। सच है क्या?
दीदी ने एक झूठी नाराज़गी दिखाई, फिर एक कामुक अंदाज़ में हंसते हुए बोली: सलीम जी ने सच ही कहा होगा। आज़मा कर देख लो (कहते ही उसने अपनी काली नाइटी की स्लिट से अपनी चिकनी जाँघ को और ज़्यादा खुल्ला किया।)
सलीम ने देखा कि माहौल पूरी तरह बन चुका है। उसने एक गिलास उठाया और तीनों को देखते हुए कहा: आज रात की जीत तुम तीनों के नाम। अब बातें कम और काम ज़्यादा होगा।
राजू और अजय दोनों के चेहरों पर वासना साफ़ झलक रही थी। राजू ने अपना हाथ मम्मी की जाँघ से ऊपर ले जाना शुरू कर दिया, और अजय का हाथ भी दीदी की कमर पर कस गया। उनकी आँखें अब सिर्फ़ एक ही चीज़ तलाश रही थी – जिस्म की भूख।
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