पिछला भाग पढ़े:- पड़ोसी ने तोड़ी मेरी दीदी की सील-24
हिंदी सेक्स कहानी अब आगे-
मम्मी और दीदी को जाता हुआ देख कर मेरे मन में एक अजीब सी बेचैनी उठ रही थी। मैं सोच रहा था, शायद आज मुझे कुछ ऐसा देखने को मिलने वाला है, जो मेरी साँसें रोक देगा।
सलीम एक अकेला मर्द था, और मेरी माँ-बहन। मेरे दिमाग में बस यही घूम रहा था कि क्या मेरी माँ और बहन सलीम को निचोड़ेंगी, या सलीम ही उन दोनों को निचोड़ेगा?
जैसे ही वे मम्मी के कमरे में घुसे, मैं भी दबे पाँव, एक चोर की तरह, अपनी पुरानी जगह पर जा पहुँचा। वही जगह, जहाँ से मैंने पहले भी कई राज देखे थे। मेरे दिल में एक तूफान उठ रहा था, कुछ नया देखने की तीव्र लालसा मुझे खींच रही थी।
फिर मेरी आँखें उसी खिड़की पर टिक गई, जहाँ से मैंने दीदी की फर्स्ट चुदाई देखी थी। उस पल मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरी आँखें आज दीदी और माँ को एक साथ देखने को मिलेंगी। यह ख़्याल ही मेरे शरीर में एक झुरझुरी दौड़ा गया।
मैंने अंदर देखा तो मम्मी का पूरा कमरा किसी सपने सा सजा हुआ था। बिस्तर पर गुलाब के फूल ऐसे बिखरे थे, जैसे किसी ने अभी-अभी प्यार बरसाया हो। इतनी सजावट कब और कैसे हुई, मुझे इसका ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था। मैं बस उस नज़ारे को स्तब्ध होकर देख रहा था।
सलीम की एक बाजू में मम्मी और दूसरी में दीदी खड़ी थी। उनके चेहरे मेरी तरफ़ थे, पर उनकी आँखों में एक अलग ही चमक थी। मम्मी और दीदी के चेहरों पर आज एक ख़ास खुशी झलक रही थी, जो मैंने पहले कभी नहीं देखी थी। मम्मी के चेहरे पर थोड़ी शर्म और एक मीठी सी मुस्कान, दोनों मिलकर उन्हें और भी ख़ूबसूरत बना रहे थे।
सलीम ने अपने चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान लिए, दीदी की तरफ़ देखा और नरमी से बोला: थैंक्यू मेरी जान, तुमने मुझे इतना बड़ा सरप्राइज दिया।
दीदी की आवाज़ में हल्की सी शरारत थी: सलीम जी, इस सरप्राइज की आधी हकदार आपकी दूसरी जान भी है।
सलीम ने प्यार भरी नज़रों से मम्मी की तरफ़ देखा और मुस्कुराते हुए कहा: थैंक्यू मेरी जानेमन।
मम्मी थोड़ा शर्माते हुए बोली: सलीम जी, हम आपके प्यार में कुछ नया करना चाहती थी, क्यों बेटी?
दीदी ने आत्मविश्वास के साथ कहा: हाँ सलीम जी, आपके प्यार के लिए हम कुछ भी कर सकती है।
सलीम ने दोनों को अपने सीने से लगा लिया, जैसे दो अनमोल रत्नों को समेट रहा हो। उसकी आवाज़ में एक गहरा अहसास था: आप दोनों ने मेरा दिल ही खुश कर दिया। आज मैं भी अपनी दोनों रंडियो के होल अपने मुसल से खुश कर देना चाहता हूँ।
मम्मी और दीदी सलीम के सीने से लिपटी हुई एक-दूसरे को देख रही थी। मम्मी अभी भी थोड़ा शर्मा रही थी, उनके चेहरे पर एक मासूम सी झिझक थी, पर दीदी के चेहरे पर शर्म का नामोनिशान नहीं था। दीदी का चेहरा साफ़ बता रहा था जैसे शायद वह इस पल का बेताबी से इंतज़ार कर रही थी। उनकी आँखों में एक अनोखी चमक थी। फिर दोनों ने एक साथ अपनी गर्दन ऊपर की और सलीम की आँखों में देखा।
मम्मी और दीदी ने एक साथ, पूरी लगन से कहा: आपकी दोनों रंडिया आपको खुश करेंगी!
मम्मी ने एक बॉडी से चिपकी हुई सिल्की डार्क रेड नाइटी पहनी थी। पतली स्ट्रैप्स, डीप नेक और नीचे से इतनी छोटी कि उसकी जांघें साफ दिख रही थी। सलीम उनकी चूचियां मसल कर उनके होठ चूसने लगा।
दीदी ने उस रात हल्की पिंक साटिन नाइटी पहनी थी, जो सिल्की और चिपकी हुई थी। उसकी पतली-पतली डोरी वाली स्ट्रैप्स बस उसके कंधों पर टिक रही थी। सामने से डीप नेक था, जिससे उसकी कॉलरबोन और थोड़ा सा क्लिवेज साफ़ दिख रहा था। वो सलीम से पीछे चिपक कर उसकी गर्दन को चूम रही थी।
सलीम ने मम्मी को और कस कर अपनी बाहों में भर लिया। वो उनके होठों को ऐसे चूस रहा था जैसे सालों से प्यासा हो। मम्मी एक मीठी सी आह भर कर उसके होंठों पर अपने हाथ फेरने लगी। उनकी रेड नाइटी में, वो इतनी सेक्सी दिख रही थी कि मैं नज़रें हटा ही नहीं पाया। सलीम के हाथ उनकी छाती से नीचे सरकते हुए उनकी पतली कमर को सहलाने लगे।
दीदी, जो पीछे से चिपकी थी, अब आगे आकर खड़ी हो गई। उन्होंने सलीम के चेहरे को अपने हाथों में लिया और एक गहरी, कामुक नज़र से उसे देखा और बोली: हमने सब इंतज़ाम कर लिया है, सलीम जी।
उन्होंने अपने पिंक साटन की नाइटी को थोड़ा ऊपर उठाया, जिससे उनकी चिकनी जांघें और भी साफ़ दिखने लगी।
सलीम ने मम्मी को थोड़ा ढीला छोड़ा और दीदी की तरफ़ मुड़ा: तुम दोनों आज मुझे जन्नत दिखा दोगी (उसने फुसफुसाया)।
दीदी ने हंसते हुए अपना एक हाथ सलीम के बालों में फेरा और दूसरा हाथ उसके पैंट पर रख दिया। मम्मी ने भी सलीम का हाथ पकड़ा और उसे अपने पेट पर रख लिया।
कमरे में हँसी और कामुक आहों का मिश्रण गूँजने लगा। मेरे लिए ये सब किसी सपने जैसा था, पर मैं जानता था कि ये हक़ीक़त है। मैं वहाँ, खिड़की से चिपका हुआ, हर पल, हर हरकत को अपनी आँखों में क़ैद कर रहा था। अंदर की गर्मी और उत्तेजना खिड़की से बाहर, मुझ तक पहुँच रही थी। मैं बस चाहता था कि ये सब चलता रहे, और मैं चुप-चाप इस शो का मज़ा लेता रहूँ।
दीदी के पूरी तरह नंगी होते ही कमरे में गर्मी और बढ़ गई। सलीम ने अपनी आँखें दीदी पर टिका दीं, उसकी साँसें तेज़ हो रही थी। दीदी ने अपनी कमर को एक कामुक अंदाज़ में हिलाया, मानो उसे और उकसा रही हो।
सलीम फिर मम्मी की तरफ़ मुड़ा, जो बिस्तर पर लेटी शर्मा रही थी। उसने मम्मी की चूचियों को प्यार से सहलाया और फिर अपनी उंगलियाँ धीरे-धीरे नीचे ले गया, उनकी जाँघों तक। मम्मी की आँखें बंद हो गईं, उनके होंठों से एक हल्की सी सिसकी निकली। मैं ये सब देख रहा था, मेरे पूरे शरीर में अजीब सी सिहरन दौड़ रही थी। मैं चाहता था कि ये सब और आगे बढ़े, कुछ भी मिस ना हो।
दीदी ने मौका पाकर सलीम की शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए। एक-एक करके बटन खुले और सलीम का मज़बूत सीना सामने आ गया। दीदी ने अपने होंठ उसके सीने पर रखे और धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगी, उसकी नाभि तक। सलीम ने एक गहरी साँस ली, उसकी मुट्ठियाँ बिस्तर की चादर पर कस गई।
मम्मी ने अपनी आँखें खोली और सलीम की तरफ़ देखा। उन्होंने अपना एक पैर उठाया और सलीम की पैंट के ऊपर से ही उसके लंड को सहलाने लगी। सलीम के चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान आ गई। दीदी भी अब सलीम की पैंट खोलने में मदद कर रही थी। कुछ ही पलों में सलीम भी पूरी तरह से नंगा हो गया।
सलीम, मम्मी और दीदी अब तीनों बिस्तर पर बिल्कुल नंगे थे। कमरे में साँसों की गरमाहट और वासना की महक फैल चुकी थी। मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए थे। मैं खिड़की से चिपका हुआ हर एक पल को अपनी आँखों में उतार रहा था।
सलीम ने पहले मम्मी की तरफ़ देखा। मम्मी ने अब अपनी शर्म छोड़ दी थी। उनकी चूत उनके गोरे शरीर पर साफ़ दिख रही थी, और उसके ऊपर हल्के-हल्के बाल थे। सलीम ने अपने होंठ मम्मी की चूत पर रख दिए और उसे ऐसे चाटने लगा, जैसे कोई भूखा बच्चा अपनी पसंदीदा मिठाई चाट रहा हो। मम्मी की एक चीख़ निकली, उनके पैर सीधे हो गए और उनके शरीर में एक कसक दौड़ गई। वह अपना सिर हिलाने लगी, उनकी साँसें तेज़ हो गई।
सलीम ने पहले मम्मी की चूत को चाटना जारी रखा, उनकी साँसें तेज़ होती जा रही थी। मम्मी का शरीर बिस्तर पर ऐंठने लगा। उनकी उँगलियाँ बिस्तर की चादर को कस कर पकड़ने लगी। उनके मुँह से सिर्फ़ आह्ह्ह्ह… ऊम्मम्म… जैसी आवाज़ें निकल रही थी। कुछ ही पलों में, मम्मी का शरीर झटके खाने लगा और एक तेज़ चीख़ उनके मुँह से निकली। वो चरम सुख को पहुँच चुकी थी। उनका शरीर ढीला पड़ गया, पर उनके चेहरे पर संतुष्टि साफ़ झलक रही थी।
मम्मी को चरम सुख देते ही, सलीम तुरंत दीदी की तरफ़ मुड़ा। दीदी तो पहले से ही बेताब थी, उनकी चूत से पानी बह रहा था। सलीम ने बिना कोई वक़्त गँवाए, अपना कड़ा लंड दीदी की चूत पर टिकाया और एक ही झटके में अंदर डाल दिया। दीदी के मुँह से एक ज़ोरदार चीख निकली, पर वो चीख दर्द की नहीं, बल्कि बेइंतहा सुख की थी।
सलीम ने तेज़ी से धक्के लगाने शुरू किए।चूत से लंड के निकलने-घुसने की आवाज़ें पूरे कमरे में गूँज रही थी। दीदी अपनी कमर उठा-उठा कर सलीम का साथ दे रही थी, उनकी साँसें उखड़ रही थी। उनके चेहरे पर अब कोई शर्म नहीं थी, बस वासना और बेताबी थी। वो चीख़ रही थी, “और तेज़… और… हाँ…!”
मैं खिड़की से सब कुछ देख रहा था, मेरे दिल की धड़कनें इतनी तेज़ थी कि जैसे सीना फाड़ कर बाहर आ जाएँगी। मेरा लंड भी कड़ा हो चुका था और मेरी साँसें तेज़ हो रही थी। कुछ ही देर में, दीदी ने एक तेज़ आह भरी और उनके शरीर में भी मम्मी की तरह झटके आने लगे। वो भी चरम सुख को पहुँच चुकी थी, उनके शरीर से पसीना बह रहा था।
सलीम भी हाँफ रहा था, उसका शरीर पसीने से भीगा हुआ था। उसने भी कुछ और ज़ोरदार धक्के लगाए और फिर एक गहरी आह के साथ दीदी के ऊपर ढीला पड़ गया। उसके लंड से गर्म वीर्य दीदी की चूत में भर गया।
तीनों अब बिस्तर पर लेटे हुए थे, थके हुए, पर उनके चेहरों पर परम संतुष्टि साफ़ झलक रही थी। कमरे में अब सिर्फ़ उनकी तेज़ साँसों की आवाज़ें और वासना की महक बाकी थी।
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