Kaamagni.. Ye Aag Kab Bujhegi – Part II

Kaamagni.. Ye Aag Kab Bujhegi – Part II

मैंने अपनी टीचर जयना से आपको परिचित किया…

अब आगे..

में कॉलेज में दाखला होते ही मुंबई ट्रेन से पंहुचा। जातेही कोलेज ऑफिस में कोलेज और हॉस्टल की अपनी फीस भरके अपना दाखिला लिया। हॉस्टल में मेरा कमरा फर्स्ट फ्लोर पे होने होने की वजह से हवापानी अच्छे थे।

कॉलेज शुरू हुई, हमारी कोलेज फूल गुलाबी माहोल में मेरे कई नये दोस्त बने जिसमे रवि, संजय, तमन्ना, शैला, ध्वनि, प्रीती और सह्नाज़ जोकि खास है। रवि मेरा रूम पार्टनर भी है और हमदोनो हॉस्टल में साथ रहते है। रवि एक श्रीमंत घरानेका थोडा डरपोक पर पढाई में सिंसियर लड़का था। हमलोगो का एक अच्छा मस्तीभरा ग्रुप बन गया और हमलोग बिलकुल फ्रैंक और खास किस्म के दोस्त बने। हमारी दोस्ती की खुशबू पुरे कोलेज में फेल चुकी थी।

अक्शर हमलोग कोलेज केन्टीन में मॉल में, गार्डन में मिलते और काफी हल्लागुल्ला करते। हां हमारी दोस्ती बिलकुल निर्दोष और शुद्ध थी पर आपस में कभीकभी मस्ती और हलकी गाली गलोच कर लेते.. हमारे ग्रुप की लडकिया बिंदास होकर जब लड्कोवाली गाली बोलेती तो थोडा अजीब पर अच्छा लगता।

एक खासबात तब बनी जब हमारी कोलेज ने नेशनल यूथ फेस्टिवल में हिस्सा लिया। जिसमे अच्छे खिलाडियों को दिल्ही भेजने का प्रिंसिपल ने प्रस्ताव रखा..

जयनामेम अच्छी एथलेट और बास्केटबोल चैंपियन होने की वजह से कोलेज प्रशासन ने उसे यूथ फेस्टिवल गेम्स की हैड बनाई। अब कोलेज से अच्छे स्टूडेंट का चयन भी उसे ही करना था। तो गेम्स में और रवि पुरुष टेनिस में तम्मना का महिला बेडमिन्टोंन में, शैला चेस में, प्रीती और ध्वनी गर्ल्स लॉन्ग जम्प में और सह्नाज़ स्विमिंग में और बाकि लोग अलग अलग गेम में सिलेक्ट हुए। हमारी कोच काफी स्ट्रिक्ट थी और हमें जोरदार प्रैक्टिस करवाती।

वो खुद कभी न थकती पर हमलोगो को रात तक प्रैक्टिस करवाती और रात होते होते हम थक के चूर हो जाते। मेडम बहोत स्ट्रिक्ट होने की वजह से कोई कुछ नहीं बोल पता था। हमलोग का गेम्स के लिए दिल्ही जाने की डेट तय हुई और कोलेज प्रशासन ने हमें मंजूरी दे दी। हम कुल 12 लोग 10 दिनों के लिए दिल्ही यूथ फेस्टिवल में गेम्स में जाने की तैयारी में जुट गए।

एक बात समज लो की हमारे ग्रुप में सब लड़के लडकिया श्रीमंत घराने की फ़ास्ट एंड फॉरवर्ड किस्म के थे। सारी लकडिया मस्त माल थी। जिसमे तम्मना मस्त 36-24-36 के परफेक्ट सेक्सी बदनवाली माल थी, वो 5′.7″ उची और एकदम सेक्सी बम जैसी थी। उसकी सुन्दरता उसकी लम्बाई, गोल उन्नत मस्त मम्मे और उसके गोल भारी मटकते चुतड थे। मैंने उसे आते ही पट्टा लिया था जो जयना मैडम की नज़र में शायद आ गया था। प्रीती एकदम गोरी चिट्टी मस्त मुलायम मक्खन सी प्यारी लड़की थी उसे संजय ने पटा लिया था। वो बहोत गोरी और नाजुक किस्म की लड़की थी।

प्रैक्टिस के दौरान जयना मेम उसको थक जाने पर बहोत डांटती थी। शैला सेक्सी शरारती, थोड़ी गेहुए रंग की पर बड़ी आकर्षक चीज़ थी। उसकी सुन्दरता उसकी गुलाबी होंठ और बड़ी आँखों में थी। साली बहोत तेज माल थी। सह्नाज़ तो सह्नाज़ थी। वो 5’8″ की, कोकाकोला की बोतल जैसे फिगरवाली नशीली मस्त लड़की थी। उसे हम शराब की बोतल भी कहते। हम जब भी मिलते तो में अक्सर उसके बड़े मस्त मटकते कुलहो पर थपाक के थाप मरता। वो बड़े ही नशीले अंदाज़ में ओह्ह्ह सीस आउच… करके मुझे गाली देते हुए गालो पे थप्पड़ मारती।

ऐसा एक भी दिन नहीं होगा की हमलोग ना मिले हो..

हम 11 स्टूडेंट्स और जयनामेम को मिलाके कुल 12 लोगो को ट्रेन में रिजर्वेशन ना मिल पाया इसलिए हमलोगो का एक ए।सी। वॉल्वो बस में रिजर्वेशन कराके दिल्ही जाने का फिक्स हुआ और वो वॉल्वो कोच से हमें अपनी कोलेज के गेट से शाम 6:30 बजे मुंबई से दिल्ही ले जाने वाला था। मुंबई से दिल्ही तक का पूरी रात और कुछ और घंटो का सफ़र हमें तय करना था। लडको में मुझे और लडकियों में सह्नाज़ को लीडर के रूप में चुना गया और हमें सबको की ठीक से रहने और गेम्स में अच्छा परफॉरमेंस करने के लिए जयना मेम से खास ट्रेनिंग भी लेनी थी।

हमारी १५ दी तक ट्रेनिंग हुई और आखिर वो दिन आ गया के हमें दिल्ही जाना था। शाम को कोलेज ग्राउंड के पास से हमें बस में बैठना था। शाम ६ बजे सब लोग कोलेज गेट के पास अपना सामान ले के इकठा हुए पर अबतक जयना मेम नहीं पहुची था। हमसब उनकी ही बात ही कर रहै थे तब एक मस्त वाइट स्कोडा कार आई उसमे से एक 38-40 वर्षीय गोराचिट्टा हैण्डसम पुरुष उतरा और उसने हमारी साइडवाला कार का दरवाजा खोला तो उसमे से स्वर्ग की कोई सुन्दर अप्सरा जैसी सुन्दर हमारी सेक्सी जयनामेडम मस्त साड़ीवाले रेशमी लिबास में अपने सेक्सी अंगो की खुशबू बिखेरती हुई उतरी।

उसे चलने दिक्कत हो रही थी तो उस आदमी ने अपने कंधे से थोड़ी मदद की और वो थोड़ी पैरो से लंगडाती हुए नीच उतरी। दरसल वो आदमी जयनामेम के पति जुगलकिशोरजी थे। वो जयना मेडम को अपने कंधे के सहारे गेट ला ही रहै थे की में और तम्मना उसके की तरफ जल्दी से दौड़ दिए और कहा..

मैं: अरे अरे मेम आपके पैरो को क्या हुआ? तो उनके पति ने हमें अभिवादन करते हुए कहा

जुगलकिशोर: हैलो स्टूडेंट ये लो संभालो अपनी मेडम को, रात को घर की सीडिया उतरते हुए जरा पैरो में एक मामूली मोच आ गयी है। डॉक्टर ने कहा के बस 10-11 घंटे में पैर ठीक हो जायेगा अगर आराम करे तो पर आपकी मैडम बहोत जिद्दी है वो इस हालत में भी दिल्ही आप लोगो के लिए आ रही है लो संभालो अपनी मैडम को। कौन रखेगा इसका ख्याल? हमदोनों साथ में बोल पड़े “में सर…”

वो हस के हमें थैंक्स कहकर मेम को बेस्ट जर्नी विश कर अपनी अपनी कार लेके चले गए। मेरे और तम्मना के कंधो के सहारे वो कोलेज गेट की और चल दी। उसके हाथ मेरे कंधे पे होने से उसकी नर्म मोटी चुचिया साइड से मेरी छाती से दब रही थी और मेरे तनबदन में एक सनसनी मचने लगी। मेरे पेट के अन्दर कुछ होने लगा और मेरे लंड के सुपाडे पे एक मीठी गुदगुदी के साथ सनसनाहट हुइ। हलाकि ये मुझे अपनी जिंदगी में पहलीबार महसूस हुआ!!!

अच्छा लग रहा था। हमलोग स्पोर्ट्स के लिबास में थे और मैंने जीन्स की बरमूडा और राउंड नैक टी शर्ट पहनी थी। जैसे जैसे वो चलती उसका मेरी तरफ वाला नर्म स्तन मुझसे जायदा चिपकता गया और में होश खोने लगा। बदन में एक ज़न्कृति, लंड पे सनसनाहट मुझे बड़ा बेचेन कर रही थी।

तमन्ना उसका बोजा नहीं उठा पा रही थी तो मेरी तरफ कुछ ज्यादा ही जुक के चल रही थी और मुझे पीठ के पीछे से हाथ डालके कमर को थाम पड़ा। जैसे ही मेरा हाथ उसके नर्म मुलायम बिना रोयेवाले चिकने पेट को छुआ उसको भी करंट लगा और उसने मेरी तरफ देखा, पहले तो मेरी गांड फटी, पर वो मुस्कुराई तो मुज में हिम्मत आई।

मैं: सॉरी मेम..

जयना: ओह्ह्ह इट्स ओके।

तमन्ना (जोके मुझे प्यार करती थी बस इज़हार करना ही बाकि था) ने मेरा हाथ उसकी कमर देखा तो वो गुस्साने लगी। उसने जोर से पीछेवाले हाथ से मुझे अपने नाख़ून चुभोके जोर से चिमटी भरी। मुझे बहोत दर्द हो रहा था फिर भी में उसे सहन करते हुए जैसे कुछ नहीं हुआ ऐसे चलता रहा।

तमन्ना: (कटाक्ष में, गुस्से से ज़ुन्ज़ुलाकर) बस साहिल अब छोड़ डो गेट आ गया है ना मेम…??

मेने मेम को वहा छोड़ मेर हाथ को देखा तो उसपे खून आ गया था। मेने आंखे निकाल में चोरी से उसकी और देख इशारा किया तुजे देख लूँगा..उसने अपनी जबान निकाल इशारे में में मुझे कुत्ता कहा..

बहरहाल मेरे निकर में मेरा लंड फनफनाने लगा था और जोर से सलामी दे रहा था। मेरी धड़कने बड़ी तेज हो गयी थी। जयना के बदन की खुशबू मेरे नाक के रास्ते लंड तक असर कर रही। उसकी रेशमी साडी से सेंट की भभक छुट रही थी। खेर मेरी हालत ख़राब करते हुए वो गेट तक आ गयी और हमें थैंक्स कहा।

पढ़ते रहिये क्योकि.. कहानी अभी जारी रहेगी।

दोस्तों मेरी ईमेल आई डी है “[email protected]”। कहानी पढने के बाद अपने विचार नीचे कमेंट्स में जरुर लिखे। ताकी हम आपके लिए रोज और बेहतर कामुक कहानियाँ पेश कर सकें। डी.के

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