Site icon Desi Kahani

पड़ोसी ने तोड़ी मेरी दीदी की सील-14 (Padosi Ne Todi Meri Didi Ki Seal-14)

पिछला भाग पढ़े:- पड़ोसी ने तोड़ी मेरी दीदी की सील-13

हिंदी चुदाई कहानी अब आगे-

तब सलीम ने अपना लंड आगे-पीछे करते हुए कहा: तेरी चूत अभी तक कसी हुई है, बहुत टाइट। मुझे तेरी चूत को भी तेरी बेटी की तरह ढीली करने में मज़ा आएगा।

मम्मी सलीम का मोटा लंड सह रही थी। उसे उसका मोटा लंड अपनी चूत में सहना मुश्किल हो रहा था।

मम्मी ने लंबी सांस लेते हुए कहा: आह सलीम, मेरी बेटी तुम्हें कैसे बर्दाश्त करती है?

सलीम: उफ्फ! तेरी बेटी तो जवान घोड़ी है। उसे तो अब अपने दोनों होल में मेरा लंड लेने में बड़ा आनंद आता है। क्या तुझे भी वही चरम सुख चाहिए?

मम्मी सलीम की आंखों में देखते हुए, एक मुस्कान के साथ अपनी पलके झपका देती है। मम्मी ने बिना बोले, अपनी पलकों को झपका कर सलीम को “हां” का जवाब दे दिया था।

अब सलीम जैसा मर्द अगर यह नहीं समझ पाए, तो कौन समझेगा। फिर क्या था, सलीम ने मम्मी की चिकनी टांगें अपने मजबूत कंधों पर रखी। फिर मम्मी की कमर को पकड़ कर लंड को हल्के-हल्के धक्के देने लगा। मम्मी सलीम की आंखों में देख कर और भी ज़्यादा गर्म हो रही थी।

सलीम के हर धक्के पर मम्मी के मुंह से निकलता: आह्ह… उफ्फ… हां… और अंदर… ज़ोर से… उह्ह… जल रहा है… लेकिन मजा आ रहा है…

सलीम का मोटा लंड मम्मी की चूत में अपनी जगह बना चुका था। अब सलीम का मोटा लंड बड़े आराम से चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। मम्मी भी सलीम की चुदाई का पूरा आनंद ले रही थी, और अपनी कातिल आंखों से उसका जोश बढ़ा रही थी।

कुछ देर में सलीम अपने धक्कों को तेज़ कर देता है। उसके हर धक्के पर चूत से फच-फच की आवाज़ आने लगती है, और मम्मी के मुंह से हूं… आह… हां सलीम… और… उह्ह… ओह… रुको नहीं…जैसी आवाज़ें निकल रही थी।

सलीम की चुदाई से मम्मी पूरी तरह पिघल चुकी थी। उसका बदन जवाब देने लगा था। जब उससे अब और सहा नहीं गया, तो उसने सलीम से कहा कि वो उसके ऊपर आ जाए। सलीम बेड पर चढ़ा, मम्मी की टांगें फैला कर अपना लंड मम्मी की चूत में अच्छे से जमाया, और फिर मस्ती में हिलने लगा। मम्मी को सलीम जैसा ताकतवर मर्द अपने ऊपर पाकर मजा आ रहा था। वो उसके पीठ पर नाखून चला रही थी, लेकिन सलीम की मोटी चमड़ी पर ज़्यादा असर नहीं हो रहा था।

कुछ देर बाद सलीम मम्मी से घोड़ी बनने को कहता है। मम्मी उसकी बात मानते हुए उसके सामने घोड़ी की तरह झुक जाती है, जैसे वह उसकी गुलाम हो। फिर सलीम पीछे से लंड को चूत की जगह पर सही ढंग से रखता है, और एक तेज़ धक्के से पूरा अंदर कर देता है। मम्मी सलीम के इस अचानक किए गए धक्के से अनजान होती है, और थोड़ा आगे खिसक जाती है।
इसके बाद सलीम मम्मी की कमर पकड़ कर ज़ोरदार धक्के लगाने लगता है। मम्मी, सलीम की इस चुदाई से बेबस और मदहोश सी हो जाती है।

मम्मी: आअह्ह… सलीम… आप कमाल के हो… उफ़्फ्फ… आईईई… मुझे अपनी कोख में महसूस हो रहा है… आअह्ह… आराम से… सलीम जी… सलीम जीईई… म-म-म…

सलीम: बोल साली रांड क्या बोलना चाहती है?

मम्मी: आअआअ… अअअह्ह्ह… आह्ह्हह… अह्ह्ह्ह… सलीम जीईई… माफ़ करना… मैंने आप पर ग़ुस्सा किया था… उफ्फ्फ्फ… आप मेरी बेटी के लिए बेस्ट मर्द हो।

सलीम (मम्मी की गांड पर हल्की चपत लगाते हुए): तो बस तेरी बेटी के लिए ही? ये तेरे लिए नहीं?

मम्मी (हल्की सिसकारी और धीमे स्वर में):‌ हां, पर मैं अपनी बेटी के बीच में नहीं आना चाहती।

सलीम ने अपने धक्कों की गति तेज़ कर दी। मैंने देखा मम्मी की चूत से रस की एक धारा नीचे की ओर टपक रही थी। सलीम ने मम्मी की मोटी गांड को हल्का सा फैलाया और उसके पीछे का छेद देखने लगा। वो हिस्सा नरम और थोड़ा खुला हुआ लग रहा था, जैसे हर धक्‍के पर वो धीमे-धीमे खुल और बंद हो रहा हो।

सलीम, मम्मी की गांड के होल को देखते हुए बोला: लगता है रंडी तूने पहले भी ये खूब गांड मरवाई है, है ना?

मैंने देखा सलीम की बात सुन कर उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आ गई। उस मुस्कान को देख कर लग रहा था शायद मम्मी इससे पहले भी अपनी गांड मरवा चुकी थी।

सलीम अपने हाथ में थोड़ा थूक लेकर गांड के होल पर मसलने लगा। शायद मम्मी को पता था कि अब क्या होने वाला है, लेकिन वो कुछ नहीं बोल रही थी। सलीम ने होल को थूक से नरम किया और उसमें अपनी उंगली डालने लगा। एक उंगली जाने के बाद भी मम्मी ने सलीम को नहीं रोका। शायद वो भी अपनी गांड में सलीम का लंड लेना चाहती थी। सलीम कुछ देर उंगली करता रहा, और चूत का रस गांड पर फैलाने लगा और गांड होल और भी चिकना करते हुए-

सलीम बोला: साली, मुझे पता है तुम औरतों की गांड में बड़ी खुजली होती है। तुझे देख कर तो साफ़ लग रहा है, तूने भी ये खुजली कई बार मिटाई है। लेकिन आज मेरे लंड से ऐसा खुजली मिटाऊंगा, कि तू खुद चलकर मेरे पास आएगी।

फिर सलीम ने अपने लंड को अच्छी तरह चिकना किया और उसे गांड के छेद पर सैट किया। मम्मी ने गर्दन घुमा कर सलीम की तरफ देखा और हल्की सी मुस्कान दी। सलीम समझ गया। मम्मी ने अपनी गांड की मांसपेशियों को ढीला छोड़ दिया, ताकि उसका लंड आसानी से अंदर जा सके।

सलीम ने धीरे-धीरे उसे मम्मी की गांड में लंड उतारना शुरू किया। जैसे-जैसे लंड अंदर जाता गया, मम्मी की आंखें फैलने लगी, और होंठों से हल्की सिसकारियां और आवाज़ें निकलने लगी।

मम्मी : आअआअ… आअआअ… अअअअह्ह्ह… आह्हह्ह… अह्ह्हह्ह… आह्हह्ह… अह्ह्हह्ह… आईईईई… सीईईईई… आराम से डालो सलीम जी… उफ्फ्फ्फ्फ… बड़े बेदर्द मर्द हो आप… उफ्फ्फ्फ्फ…

दर्द के चलते मम्मी के हाथ-पांव कांप रहे थे। लेकिन फिर भी वो पूरी तरह सलीम की घोड़ी बनी रही। जैसे ही सलीम का पूरा लंड अंदर गया मम्मी एक-दम चीख पड़ी: आईईईई… आईइईई… आह्हह्ह… अह्ह्हह्ह…

सलीम, मम्मी की गांड पर एक थप्पड़ मारते हुए, अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा।

धीरे-धीरे मम्मी की चीखें सिसकारियों में बदलने लगी। जब सलीम ने मम्मी की टप-टप गांड मारना शुरू की, तो मम्मी को भी मज़ा आने लगा। वो भी अपनी गांड को आगे-पीछे हिलाने लगी। जैसे ही सलीम तेज़ धक्कों के साथ चुदाई कर रहा था, मैंने देखा मम्मी की चूत अपने आप खुल रही थी, और वहां से रस भी टपक रहा था।

जिस औरत को मैं इतने दिन तक अपने घर में शरीफ़ समझता था। आज उसी के भीतर की आग सामने आ गई थी। कुछ देर तक सलीम के तेज़ धक्कों को सहने के बाद, मम्मी थरथराकर झड़ गई और थक कर सीधा बिस्तर पर गिर पड़ी। उसके ऊपर सलीम भी गिर गया, लेकिन उसके ऊपर लेट कर भी उसने अपनी चुदाई रोकनी नहीं चाही।

मम्मी (हांफते हुए बोली): सलीम जी, मैं तो आपकी मस्ती से निहाल हो गई। आपने तो मेरा पूरा बदन तोड़ कर रख दिया। मैं तो आपकी बांहों में पूरी तरह चूर हो गई। लेकिन आप तो अभी भी रुके नहीं!

सलीम: बस मैं भी अब होने वाला हूं। तुझे पूरी तरह अंदर तक तृप्त करके ही रुकूंगा।

सलीम ने तुरंत मम्मी को पलट दिया और उसकी टांगें फैला कर एक बार फिर चूत में अपना लंड उतार दिया। इस बार मम्मी ने सलीम का चेहरा पकड़ कर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। कुछ देर तक जबरदस्त धक्कों की चुदाई के बाद सलीम भी मम्मी की चूत में झड़ गया।

झड़ने के बाद भी सलीम उसका लंड अंदर डाले, मम्मी पर लेटा रहा। मम्मी ने आंखें बंद कर ली, और सलीम का गर्म वीर्य अपने अंदर तक महसूस करती रही। कुछ देर तक दोनों वैसे ही चुप-चाप पड़े रहे। मैंने देखा मम्मी आंखें मूंदे मुस्कुरा रही थी, और सलीम की पीठ पर हल्के हाथों से सहला रही थी। कुछ देर बाद सलीम ने धीरे-धीरे अपना लंड बाहर निकाला, और मम्मी के बगल में आकर लेट गया।

सलीम (मुस्कराते हुए): कैसी लगी मेरी चुदाई?

मम्मी शर्माते हुए सलीम के सीने में अपना सिर छुपा कर बोली: आप बहुत अच्छे हो। प्लीज़, हमसे कभी दूर मत होना। मेरी बेटी को हमेशा खुश रखना।

सलीम (धीरे से): और तुम्हें?

मम्मी सलीम के सीने पर अपनी उंगली फेरते हुए हल्की मुस्कान के साथ बोली: आप मेरी बेटी के हो।

फिर मम्मी बेड से उतर कर अपने कपड़े समेटने लगी, और सलीम की ओर पीठ करके धीरे-धीरे उन्हें पहनने लगी। जब उसने कपड़े पहन लिए, तो देखा सलीम उसके सामने नंगा खड़ा था। मम्मी ने नज़रें झुका ली, चेहरे पर हल्की सी शर्म की मुस्कान तैर गई।

सलीम मम्मी के करीब आया, उसके होठों को हल्के से चूमा और मुस्कराते हुए बोला: लगता है मेरी चुदाई में तुमने कुछ मिस कर दिया है। सोचो, क्या? जब तक वो मिसिंग पूरा नहीं करती, मैं तुम्हें यहां से जाने नहीं दूंगा।

सलीम ने अपना लंड हाथ में लेकर मम्मी को दिखाया। मम्मी उसे देख कर शरमा गई और समझ गई कि सलीम क्या चाहता था। वो तुरंत घुटनों के बल सलीम के सामने बैठ गई। उसकी आंखों में देखते हुए लंड पर एक हल्का-सा किस्स किया और उसे मुंह में ले लिया। फिर हल्का-सा चूस कर मुस्कुरा कर खड़ी हो गई।

सलीम थोड़ी देर मम्मी को बस देखता रहा। जैसे उसकी आंखों में कुछ ढूंढ रहा हो। फिर हल्के से उसका चेहरा हाथ में लिया और माथे पर एक प्यारा-सा किस्स दिया। मम्मी मुस्कराई, लेकिन उसकी आंखें थोड़ी भीगी थी। कोई कुछ कह नहीं रहा था फिर भी बहुत कुछ कहा जा चुका था।

सलीम ने मम्मी को अपने गले से लगा लिया। थोड़ी देर तक दोनों बस एक-दूसरे की सांसें सुनते रहे। उस गले मिलने में सब कुछ था। अपनापन, अफ़सोस, और शायद एक आख़िरी बार का साथ।

फिर सलीम ने धीरे से फुसफुसाया: शायद ये आख़िरी बार हो।

मम्मी उसके सीने पर सिर रख कर बोली: अगर फिर कभी मिले तो यही लम्हा दोबारा जीना चाहूंगी।

सलीम ने हल्का सा मुस्करा कर उसकी ठुड्ढी उठाई, नज़रों में देखा और एक गुडबाय किस्स दिया। ऐसा कि उसकी यादें उसके होंठों पर बस जाएं। फिर दोनों थोड़ा पीछे हटे, पर मम्मी के चेहरे कुछ अफ़सोस नहीं था।

आप को अभी तक की कहानी कैसी लगी मुझे deppsingh471@gmail.com पर मेल करे।

Exit mobile version