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मेरी चुदक्कड़ चाची-4 (Meri chudakkad chachi-4)

पिछला भाग पढ़े:- मेरी चुदक्कड़ चाची-3

नमस्कार दोस्तों, ये हिंदी सेक्स कहानी मेरी चुदक्कड़ चाची का नया पार्ट है। जैसा कि आप लोगों ने पिछले पार्ट में पढ़ा, कि कैसे मैं अपने कॉलेज के तीसरे साल में अपने गांव चाचा के घर गया। वहां मैंने अपनी चाची को घर के नौकर सूरज से चुदते हुए देखा, और फिर चाची को पटा कर उनके मदमस्त बदन का आनंद लिया, और उन्हें भी तड़पा कर चुदाई का आनंद दिया।

खैर वर्तमान में आते है। तो मेरा अब कॉलेज का आखिरी वर्ष खत्म हो चुका था, और ठीक दो महीने बाद मुझे दूसरे शहर नौकरी के लिए जाना था। चाची की तड़पती प्यास, रोज उनसे फोन पर बात हो रही थी। मैं और चाची जब भी अकेले में बात करते, तो चाची बहुत कामुक हो जाती थी। मेरा मन भी चाची से इतने समय से मिलने को हो रहा था।

एक बार मैं फिर से चाची का कटीला फिगर आपको बताना चाहूंगा। चाची 30 साल कि बड़ी कामुक माल थी। चाची का कटीला बदन, मोटे मखमली चूतड़ और गोरे 32D गुब्बारे टाईट मम्मे, जब भी चाची का ख्याल आता, तो बिना हिलाए मैं खुद को काबू नहीं कर पाता था। चाची की उम्र 30 के लगभग होने पर भी, फिगर ऐसा कि मानो गांव के हर मर्द का खंबा, सलामी देने लगे।

चाची बहुत ही चुदक्कड़ महिला थी। पिछली बार जब में गांव गया, तब मुझे पता चला कि चाची कितनी बड़ी कामुक औरत है। चाची ने ही बताया कि वो अपनी जवानी के दिनों से ही कई गैर मर्दों से चुद चुकी थी। यहां तक कि अपने मायके गांव में कई मर्दों ने चाची को घोड़ी बना कर पूरा मजा लिया था।

अब उन दो महीने के बीच मैंने गांव जाने का मन बनाया। खैर मैं पूरी तैयारी करके गांव के लिए रवाना हो गया। पिछला एक साल चाची की याद में मानो मुश्किल से गुजार पाया। खैर अगले ही दिन मैं गांव पहुंचा। गांव में घर पहुंचते ही मैं देखा कि घर पर चाचा के अलावा कोई नहीं था। मैंने चाचा से पूछा, तो पता चला कि चाचा ने कुछ दिन पहले ही गांव में आये एक नये आदमी को काम पर रखा था, और चाची खेत में नौकर काका को दोपहर में खाना देने गई थी।

चाची को मेरे गांव आने के बारे में पता था। फिर भी उन्हें घर पर ना देख कर मैं गुस्सा हुआ। खैर मैं चाचा से पूछ कर, तुरन्त ही खेत की ओर रवाना हुआ। फिर खेत में पहुंचा तो वहां कोई नहीं दिखा। खेत में औजार और जरूरत का सामान रखने के लिए एक छोटा सा कमरा बना हुआ था। वहां से कुछ आवाज़ें आ रही थी।

मैं उस कमरे की खिड़की से देखने लगा और पता चला कि चाची नीचे जमीन पर लेटी हुई थी। ब्लाऊज़ के पूरे हुक खुले हुए थे, चाची अपने दोनों मम्मे दबा कर जोर से सिसकियां भर रही थी। एक बूढ़ा आदमी चाची की साड़ी के अंदर घुस कर चूत को कस के, चूस चूस कर सहला रहा था। मैं खिड़की से झाक कर ये सब देख रहा था। चाची इसका पूरा आनंद ले रही थी।

चाची: आह आह उम्म… और जोर से चूस बुड्ढे। फाड़ कर पूरा पानी निकाल दे साले।

चाची का गोरा बदन अब फिर से मेरे सामने था, पर मैं अन्दर नहीं जा सकता था। करता भी क्या? मैं बस खिड़की से झांक कर ये सब देखता रहा। फिर से पूरानी यादें ताज़ा हो गयी। कोइ गैर मर्द से चाची मजा ले रही थी, और मेरा खिड़की से देखना।

कुछ देर तक वो आदमी चाची की चूत को पूरे मजे देता रहा, चाची ने अपने जांघों के बीच उसके मुंह को चूत पर दबा लिया था। कुछ देर तक ऐसा होते रहा, और फिर चरमसुख पर आते-आते चाची ने पूरा माल साड़ी के अंदर ही, उसके मुंह पर निकाल दिया। साड़ी के बाहर आते ही वो आदमी बैठ कर अपने कुर्ते से मुंह साफ करने लगा। चाची भी जल्दी उठ कर ब्लाऊज़ के हुक लगाने लगी।

दोस्तों दरअसल वो नौकर एक 60 साल का बुढा आदमी था। उसका नाम कमल था, जो गाव में नया आदमी था, इसलिए मैं उसे नहीं जानता था। वो कुछ ही दिनों पहले हमारे यहां काम पर आया था।

चाची उठ कर खड़ी हुई और जाने लगी। पर इतने में उस बुड्ढे ने चाची की साड़ी पीछे से पकड़ी और खींच कर अपने सीने से कस लिया।

कमल बोला: साली छिनाल, मेरे मुंह पर माल गिरा कर जाने लगी। अब मेरा माल और मेरे लंड की आग कौन मिटाएगा?

चाची: आजा तेरी आग मैं मिटाती हूं। वैसे भी तेरे लौड़े में ना कुछ वजन है, ना ही ताकत, जो मेरी चूत की आग मिटा सके।

कमल बुड्ढे ने चाची को दीवार से टिकाया, और गांड पर हाथ रख कर खींचा, जिससे चाची की गांड उठ कर बाहर आ गयी। साड़ी को पकड़ कर खिचने से चाची की साड़ी आधे कमर पर अटकी हुई थी, और बाकी जमीन पर थी। कमल ने चाची के बलाऊज़ को बाहर खींच कर, चाची का गोरा जिस्म नंगा कर दिया। कमल ने अपनी धोती को उठा कर अपना लंड बाहर निकाला, और चाची की साड़ी पेटीकोट को ऊपर उठा दिया।

साड़ी को उठा कर चाची ने मुंह में दबा ली, और दोनों हाथो से पेटिकोट को ऊपर उठा कर मम्मों के पास जकड़ लिया। फिर कमल बुड्ढे ने धीरे से चाची की चूत में लंड सेट किया, और पूरा अन्दर घुसेड़ दिया। कुछ देर तक वो चाची की चूत में जोरदार झटके देता रहा। उसके लंड का आकार छोटा था, जिससे चाची आराम से पूरा अन्दर ले रही थी। फिर उसने चाची को घुमा कर गांड को अपने सामने सेट किया, और अपने एक हाथ से चाची की चूतड़ पर जम के मारा। एक मार पड़ते ही चाची जमीन पर गिर पड़ी और बोली-

चाची: क्या कर रहा है? आराम से कर साले।

उसने चाची के बालों को पकड कर खींचा, वापस खड़ा किया, और बोला: बहुत बोल रही थी, मेरी जवानी में दम नहीं। आज मैं पूरी जान निकाल बताता हूं।

उसने पूरी ताकत से लंड चाची की गांड में घुसा दिया, और हर झटके पर चाची के चूतड़ बजाता रहा। जोर के झटको से चाची के मम्मे लटक कर झुल रहे थे। कुछ दो मिनट बाद चाची के चूतड़ पूरी तरह बज कर लाल हो गये थे, और दर्द से चाची चिल्ला उठी।

चाची: बस कर कितनी गांड मरेगा साले, आह आहह?

कुछ दस झटको के बाद कमल काका चाची के गांड पर झड़ गया।

इसके आगे इस चुदाई की कहानी में क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। चिंता ना करें, अगला पार्ट जल्दी आयेगा।

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