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Chacheri behan ke jism ka deewana-3

दोस्तों, चूत और लंड का रिश्ता, हर रिश्ते से मज़बूत होता है। शायद इसलिए ही मेरा शारीरिक रिश्ता चचेरी बहन कामना के साथ बन गया। कामना की चढ़ती जवानी, उसका मखमली बदन, रसीले होंठ बिल्कुल ही मन को बैचेन कर देने वाले थे।

कामना 20 साल की लड़की है, जिसके लम्बे बदन और सुडौल काया पर मैं जान छिड़कता हूं। तो वो भी अब घर में ही मौका मिलते काम-क्रीड़ा चालू कर देती है। आज उसको एक महिला कालेज में दाखिला दिलवाने के लिए मुझे साथ ले जाना था।

सुबह सोकर जगा और फिर चाय की चुस्की लेता हुआ सोच रहा था, कि उसका कालेज में काम करवाकर फिर कहीं कुछ पल साथ बिताए जाएं और मज़ा लिया जाए। तो तभी कामना चुबारे पे आई और बोली-

कामना: भैया, कितने बजे कालेज के लिए निकलना है?

मैं उसकी गोलाई को घूरता हुआ बोला: तकरीबन दस बजे चलेंगे, तुम नाश्ता करके तैयार हो जाओ।

और फिर तभी मम्मी आ गई और बोली: दोनों में क्या बातें हो रही है?

मैं: यहीं, कि कालेज कितने बजे जाना है।

मम्मी: खाना खाने के वक़्त तो घर आ पाओगे, या नहीं?

मैं: उम्मीद तो नहीं है ।

फिर कामना वहां से चली गई, तो मैं भी अपने कमरे में जाकर स्नान करने की तैयारी करने लगा। मैं स्नानघर में एक तौलिया लेकर घुसा और फिर स्नान करके बदन को तौलिये से रगड़कर बाहर आया। कमरे में मैंने तौलिया ही लपेट रखा था।

अभी सुबह के 09:20 हो रहे थे और मैं खाने के कमरे में जाकर मम्मी को बोला-

मैं: कुछ हल्का नाश्ता ही देना।

और ये बोलकर मैंने फिरसे अपने कमरे में जाकर जींस और टी-शर्ट पहन लिया। आज मुझे अपने कालेज नहीं जाना था, तो ध्यान कामना के बदन को नंगा देखने का हो रहा था। खैर जब मैं और कामना दोनों ब्रेड और आमलेट खा रहे थे। तो मेरी नज़र कामना की छाती पर टिक जाती थी।

उसने पीले रंग की कुर्ती और साथ में एक स्कर्ट पहन रखी थी। तो उसकी नशीली आंखें मेरी आंखों से टकरा गई और उसने शर्मा कर सर झुका लिया । फिर हम दोनों घर से कामना के कालेज के लिए निकले।उसने अपने कंधे पर पर्स टांग रखा था और हाथ में एक फाइल पकड़ रखी थी।

मैंने बाईक स्टार्ट की, तो कामना मेरे पीछे थोड़ी दूरी बनाकर बैठ गई और उसने अपने दोनों पैर एक ही दिशा में कर रखे थे। फिर मैं बाईक तेज़ रफ्तार से चलाने लगा, तो कुछ पल बाद मुझे एहसास हुआ, कि कामना मेरे से चिपक कर बैठी हुई थी और वो अपना एक हाथ मेरी कमर पर लपेट चुकी थी और उसके दूसरे हाथ में फाईल थी।

अब उसकी दाईं चूची मेरी पीठ से रगड़ खा रही थी, जो सुबह की शुरुआत के लिए काफी थी और फिर हम वक़्त पर दोनों उसके कालेज पहुंचे। फिर बाईक को पार्किंग में लगाकर दोनों ऑफिस की ओर बढ़े। फिर वहां कामना ने अपना नामांकन फार्म और साथ में सारे दस्तावेज़ जमा कर दिए और मैं भी साथ में ही खड़ा था।

क्लर्क बोला: एक घंटे के बाद अगली खिड़की पर, आपका फार्म जाएगा और फिर फीस जमा करनी होगी आपको।

कामना: एक घंटा लग जाएगा सर?

तो वो सिर हिलाकर हां बोला और हम दोनों ऑफिस से पार्किंग की ओर बढ़ने लगे।

कामना: एक घंटे तक यहीं बैठोगो दीपक?

मैं मुस्कुराया और बोला: नहीं ,एक घंटा यहां बैठने का कोई मतलब नहीं है। हम पास के पार्क में बैठते हैं।

फिर हम दोनों कालेज परिसर से निकल गए और कुछ दूरी पर स्थित एक पार्क की ओर चले गए। अब पार्क में घुसते ही, मैंने कामना की कलाई को थाम लिया था। अब इस पार्क का वो इलाका मैं खोज रहा था, जहां हम दोनों कुछ पल मजा कर सकें और फिर एक झाड़ी के पीछे हम दोनों बैठ गए।

उसने लंबा सा स्कर्ट और कुर्ती पहनकर अपने तन को ढक रखा था और जूत्ती उसके पैर में थी। तभी उसने जूती खोलकर पास में रखी और बोली-

कामना: एडमिशन के बाद कोई गर्ल्स हॉस्टल देखना होगा दीपक।

मैं मुस्कुराने लगा और बोला : जरूर कामना।

हम दोनों आमने-सामने बैठे थे और उसका घुटना मुड़ा हुआ था। फिर मैं उसकी जांघ पर हाथ रख कर सहलाने लगा। लेकिन स्कर्ट फिलहाल उसकी जांघों को ढके हुए थी, तो मैं आहिस्ते से अपना हाथ उसकी स्कर्ट के अंदर घुसा कर, उसकी नग्न जांघ को सहलाने लगा।

अब वो अपने दोनों हाथों को पीछे की ओर करके अर्ध रूप से बैठी हुई थी और उसने अपने ऊपरी हिस्से को थोड़ा पीछे की ओर कर रखा था। लेकिन मेरे हाथ की पहुंच में उसका स्तन भी था। मेरा एक हाथ उसकी पैंटी को सहलाने लगा, तो कामना इधर-उधर नजरें करके अनजान लोगों की उपस्थिति को देख रही थी।

फिर तभी मैं अपना दूसरा हाथ उसके गोलाई पर लगाकर सहलाने लगा।

कामना: लगता है, एक घंटे तक तुम मुझे तंग करते रहोगे।

मैं जोर से उसकी चूची दबाने लगा और बोला: ओह.. मतलब तुम्हें मजा नहीं आता?

और मैं अपने दोनों हाथों को उसके बदन से हटा दिया।

मैं: अब तो ठीक है? चलो पास की काफी शॉप में काॅफी पीते हैं।

कामना शर्म से सर झुकाए बोली: क्यों, काॅफी में ही सिर्फ स्वाद है?

और उसके इशारे को समझता हुआ, मैं फिर से उसकी चूची को दबाने लगा और मेरा दूसरा हाथ स्कर्ट के अंदर उसकी जांघों के बीच था। मैंने सोचा उसकी पैंटी खोल दूं और फिर उसकी कमर को सहलाते हुए पैंटी की डोरी (हुक) को खोजने लगा।

लेकिन उसने इलास्टिक कमरबंद वाली पैंटी पहन रखी थी, तो मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही चूत के गुदाज अंग को उंगली के बीच लिया और मसलने लगा। अब कामना सिसकने लगी-

कामना : उई मां, आह.. ओह.. कितनी गुदगुदी हो रही है। प्लीज़ खोल दो ना, लहरा रही है।

मैं चूची को मसलता हुआ, अपने लंड की अकड़ से वाकिफ था और बोला: गुदगुदी कहां हो रही है जानू?

उसका गोरा चेहरा लाल हो चुका था और उसकी आंखें बंद थी और फिर मैं उसकी पैंटी को कमर से नीचे खिसकाने लगा, तो कामना ने खुद ही अपने चूतड़ को थोड़ा ऊपर करके, पैंटी को घुटने तक कर दिया और फिर अपनी दोनों जांघों को सटाकर बैठ गई।

फिर मैंने उसकी पैंटी को पैर से बाहर करके, उसकी चूत को नंगा कर दिया और पैंटी को नाक से सटाकर सूंघने लगा, तो कामना झेंप गई।

कामना: ये क्या कर रहे हो? इधर लाओ, पर्स में रख दूं।

मैं हंसने लगा: तो क्या एडमिशन नंगे ही करना है।

फिर कामना ने मेरे हाथ से पैंटी को लेकर पर्स में रख लिया और फिर मैं उसकी दोनों जांघों ,जोकि उसने सीधी रखी थी, लेकिन स्कर्ट से ढकी हुई थी, को सहलाने लगा और धीरे से उसके करीब खिसका।

मैंने कामना को अपनी गोद में लेकर, उसके पीछे हाथ लगाया और गाल को चूमता हुआ, उसकी पीठ को सहलाने लगा। कामना मेरी गोद में दोनों पैर कमर में लपेट कर बैठी थी। अब उसके स्तन मेरी छाती से चिपके हुए थे और तभी कामना के लंबे बालों को पकड़ कर मैं उसके रसीले होंठों को चूमने लगा।

मेरा लंड जांघिया और जींस के अंदर टाईट था। तो मैंने कामना के गुलाबी होंठो को मुंह में भर कर चूसता हुआ, उसको कस कर पकड़ रखा था और मेरा दूसरा हाथ उसके चूतड़ की गोलाई को सहलाने लगा।

अब कामना ने आवेश में आकर, मेरे मुंह में अपना जीभ घुसा दी और मैं जीभ चूसता हुआ, कामना की स्कर्ट को कमर तक करने की फिराक में था। अब कामना की मदहोश करने वाली तेज सांसे, मुझे उग्र करने लगी और तभी मैंने उसके चूतड़ को थोड़ा ऊपर करके, उसकी स्कर्ट को कमर तक कर दिया।

अब मैं चिकने चूतड़ को सहलाता हुआ, उसकी गांड की दरार में उंगली रगड़ने लगा और वो मेरी गोद में ही घुटने के बल हो गई । अब क्या था, मेरा हाथ उसके चूतड़ की ओर से, बुर की ओर आया और बुर को सहलाने लगा। मेरी एक उंगली बुर की दरार को रगड़ने लगी और कामना जीभ चुस्वाते हुए मेरे से चिपकी हुई थी।

तभी मुझे अपने मुंह से लार चूसने का एहसास हुआ और फिर मैंने कामना की जीभ को बाहर करके उसको गोद से उतार दिया। मेरा लंड जींस के अंदर टाईट था, तो मैंने उसको सामने बिठाकर अपनी जींस का चेन खोला और चड्डी को नीचे खिसका कर लंड को बाहर किया।

कामना ने लंड पर नज़र पड़ते ही चेहरा फेर लिया और बोली: इसी जगह पर सील तोड़ेंगे क्या? मेरे भाई।

मैं: नहीं, ले अब इसको चूसकर अपने मुंह की प्यास बुझाने की कोशिश कर।

कामना मेरे सामने ही थी। उसने अपने सिर को लंड पर झुका कर उसे थाम लिया। अब उसका बदन कुतिया की तरह था और वो घुटने, कोहनी के बल मेरे सामने थी। फिर मैं उसके सीने पर हाथ लगाकर चूची को दबाने लगा और तभी वो लंड का सुपाड़ा अपने नाक से लगाकर सूंघने लगी।

मेरा तन आग का गोला हो चुका था और मैंने उसकी कुर्ती के अंदर हाथ घुसाकर चूची को ब्रा पर से ही पकड़ लिया और दबाने लगा। मन तो कर रहा था, कि साली को यही नंगा करके चोद डालूं ,लेकिन पार्क में ये संभव नहीं था और मैं उसके मुंह में अपने लंड का एहसास पा रहा था और वो मेरे पूरे लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी।

मै: ओह.. उह.. उम.. अबे साली रण्डी, अब सिर का झटका तो दे। लगता है, लंड तुरंत ही झाड़ देगी।

लेकिन वो थूक से सने लंड को मुंह से निकाल कर जीभ से चाटने लगी और मैं उसकी चूची को मसलता रहा। दोनों जिस काम से इधर आए थे, वो भूल चुके थे और तकरीबन एक सप्ताह के बाद दोनों एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे। फिर कामना मुझसे नज़र मिलाते हुए लंड को मुंह में ले रही थी और मुंह का तेज़ झटका देते हुए, मुखमैथुन करने लगी।

मैंने उसकी चूची को छोड़कर अब उसकी स्कर्ट को कमर तक कर दिया और धीरे से उसकी चूत में उंगली घुसा कर बुर कुरेदने लगा। लेकिन बुर तो पहले से ही गीली हो चुकी थी। फिर भी रस से भरी चूत को कुरेदता हुआ लंड चुसवा रहा था और फिर मुझे लंड से वीर्य निकलने का एहसास हुआ और मैंने उसके सिर पर हाथ लगाकर, उसके मुंह में लंड पूरी तरह से घुसा रखा था।

वीर्य की तेज़ धार निकल पड़ी, लेकिन कामना ने वीर्य को पीकर ही लंड को मुंह से बाहर किया और लंड को जीभ से चाटते हुए मुस्कुराने लगी। फिर दोनों ने अपने अपने गुप्तांगों को पानी से धोकर कपड़े ठीक किए और कुछ देर आराम करने के बाद, पार्क से निकल कर कालेज चले गए। आगे क्या हुआ,अगले भाग में।

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