Site icon Desi Kahani

Bhikhari Ki Dua Se Chut Mil Gayi – Part 1

नमस्कार दोस्तो, आपका दीप पंजाबी एक बार फेर से हाज़िर है। एक नई कहानी लेकर। ये कहानी मेरे रिश्तेदारी में से एक ममेरे भाई की है। आगे की कहानी सुनिए उसी की ज़ुबानी ?

हेल्लो दोस्तों मैं समीर पंजाब से हूँ और मेरी उम्र 30 साल है और मेरी शादी हो चुकी है। मेरे 2 बच्चे भी है। मेरी शादीशुदा जिंदगी में सब बढ़िया चल रहा था के अचानक ऐसा मोड़ आया के थोड़ी कहा सुनी होने की वजह से मेरे सुसराल वाले मेरी बीवी को अपने संग ले गए।

अब मैं अपने बच्चों, माँ बाप समेत घर पे ही रहने लगा। ऐसे ही कई दिनों बाद हमारे पड़ोस में से एक लड़की जो किसी रिश्तेदारी की वजह से सगी तो नही लेकिन ऐसे ही पड़ोस की होने की वजह से बहन लगती थी।

वो हमारे घर मेरी बीवी के जाने की खबर सुनकर आ गयी।

आप लोगों को शायद पता ही होगा के पंजाब के अनेको गाँवों में यदि किसी की भैंस भी मर जाये तो उसका आदमी मरे जितना दुःख किया जाता है और आस पड़ोस वाले उसका पता लेने उस घर में आते जाते है। इसे आप लोगो का आपसी स्नेह, प्यार, मोहब्बत जो भी समझे।

अब अपनी कहानी पे आते है। उस वक्त मेरे माता जी खाना बना रहे थे और मैं चूल्हे के पास पड़ी खाट पे बैठकर खाना खा रहा था। मेरे माता जी ने उठकर उस नीतू दीदी को गले लगाकर अपना स्नेह जताया। मैंने भी खाना खाते खाते हाथ पोंछकर उसके सिर को पलोसा और खाना खाने का न्यौता दिया।

दीदी ने धन्यवाद बोलकर मना कर दिया और वो मेरे पास मेरे खाट पे ही बैठ गई। माँ ने जल्दी से पास पड़े घड़े से 2 गिलास पानी निकालकर एक मुझे और एक नीतू दीदी को दिया। पानी पीकर नीतू दीदी ने गिलास वही निचे रख दिया।

इतने में मैंने भी खाना खत्म कर लिया और जूठे बर्तन नल के पास रखकर अपने हाथ मुंह हो धोकर वापिस उनके पास ही आकर बैठ गया। इतने में माँ ने चाय चूल्हे पे चढ़ा दी। हम दोनों उठकर अंदर छाँव में आ गए और बाते करने लगे।

अब आपको नीतू दीदी के बारे में बतादू वो हमारे ही मोहल्ले की 28 वर्षीय शादीशुदा लड़की है। उसकी अपने सुसराल में बनती नही थी। इस लिए वो 30 दिनों में 20 दिन मायके में ही देखी गयी थी। शादी के 5 साल होने के बाद भी अभी उसकी गोद सुनी है।

गोपनीय सूत्रो से पता चला है के इसके पति का किसी और स्त्री से चक्र था। तो वो इसकी कोख में डालने वाला पदार्थ उस दूसरी औरत की कोख में डाल रहा था और इसी बात से नराज़ होकर ये पिछले 1 साल से हमारे यहां गांव में मतलब अपने मायके में रह रही थी। हम घर बार की बाते कर ही रहे थे के इतने में माँ ट्रे में 2 कपो में चाय लेकर आ गयी। हमने अपना अपना कप उठाया और चाय पीने लगे।

इतने में माँ ने बात शुरू करते हुए कहा,” और बेटी नीतू कैसी हो? तुम्हारी माँ कैसी है…. और कोई आया तेरे सुसराल की तरफ से ????.

“सुसराल” शब्द सुनते ही जैसे चाय की घूंट उसके हलक में ही अटक गई। उसने कप निचे रखते हुए कहा,” नही आंटी जी, कोई खबर नही उधर की। छोडो इन बातो को आप बताओ समीर की बीवी मायके क्यों चली गयी। माँ सुबह बता रही थी के लड़ाई झगड़ा करके उसकी माँ ले गयी है। मैंने सोचा चलो जाती जाती पूछ ही आऊं।

माँ ने बताना शुरू किया,” बेटी रेखा (मेरी बीवी) तो जाना नही चाहती थी लेकिन उसकी माँ उसे जोर जबरदस्ती से ले गयी। हमने तो उसे कुछ अच्छा बुरा भी नही बोला। बल्कि उसकी माँ नही चाहती के उसकी बेटी अपने सास ससुर की देखरेख करे। वो चाहती है के समीर अपने माँ बाप से अलग हो जाये। क्योंके माँ बाप उसकी हरकत पे नज़र रखते है। लेकिन इकलौता होने की वजह से ये हमे किसके सहारे छोड़े।

तो इसने भी कह दिया के रेखा रहेगी तो साथ ही, वरना इसे ले जाओ। बस यही बात लड़ाई की वजह बनाई गई है। अब तुम ही बताओ मेरा एक ही तो बेटा (समीर) है। अब बुढ़ापे में हमे ये नही तो क्या पड़ोसी सम्भालेंगे। इतना बोलते माँ का गला भर आया और वो अपनी आँखे चुन्नी के पल्ले से पोंछने लगी।

नीतू – चुप हो जाओ आंटी जी, कुछ नही होगा। आ जायेगी भाभी एक दो दिन के बाद। लेकिन आंटी जी, भाभी बोल भी तो सकती थी न मै नही जाउगी। उसे ऐसे कैसे ले गए। उसके भी 2 बच्चे है। अब वो स्कूल भी जाते है। उन्हें सुबह तैयार कौन करेगा। उनका खाना कौन बनाएगा।

माँ — सब मैं ही करुँगी बेटा, अब उसने तो छोड़ दिए। मैं कैसे छोड़ू। मेरी तो अंश है। मैं इनसे कैसे मुंह फेर लूँ। इसमें इन बच्चो का क्या कसूर है ?

इतने में नीतू को घर से फोन आ गया और वो फोन काटकर बोली,” फेर किसी दिन आउंगी माता जी अब कोई जरूरी काम है सो बाज़ार जाना पड़ेगा।

मै – अगर आपको कोई ऐतराज़ न हो तो मैं भी बाइक लेकर बाज़ार जा रहा हूँ। आप मेरे साथ आ सकती हो। आपको कम्पनी भी मिल जायेगी और हम बाते भी करते जायेगे।

उसको मेरी बात भा गयी और वो मेरे साथ चलने को तैयार हो गयी। करीब आधे घण्टे बाद वो तैयार होकर मेरे घर पे आ गयी। मेरे घर से ही हम बाज़ार के लिए रवाना हुए।

अभी गांव से बाहर निकले ही थे के रास्ते में एक भिखारी ने हमे हाथ देकर रोका और विनती की के उसे कुछ खाने को दो, उसने 3 दिन से कुछ भी नही खाया है। भगवान आपका भला करेगा, आपकी जोड़ी सलामत रहे, आपकी सुनी गोद जल्द भरे।

अब हमने उसे 10 का नोट दिया और आगे निकल गए। रास्ते में हम भिखारी द्वारा कही बात पे बहुत हंसे। भिखारी ने हमे मिया बीवी समझ लिया था इस लिए गोद भरने की असीस भी दी।

वो चाहे उस दिन गलतफैमी की वजह से हुआ था। लेकिन उसी दिन से हमारा एक दूजे को देखने का नजरिया बदल गया। जो के उसने एक दिन बातो बातो में बताया के वो मुझसे प्यार करने लगी है।

इधर मैं भी ख्यालो में ही उसे चोदना चाह रहा था। हम दोनों फोन पे बाते करते रहते थे। लेकिन अकेले में बैठने और प्यार करने का समय नही मिलता था। एक दिन वो भी आ गया। जब मैं घर पे अकेला था और नहाने के लिए पानी गर्म कर रहा था।

अब आप सोचोगे के गर्मी में गर्म पानी, अरे हां भाई, हमारे परिवार में गर्मी हो या सर्दी गर्म पानी से ही नहाते है। गर्मी होने की वजह से मैनें बनयान और इलास्टिक वाली लम्बी निक्कर पहने था। नीतू मेरे घर पे आई।

उसने पूछा,” आंटी कहाँ है ?

मैंने बताया के वो हमारी एक रिश्तेदारी में एक डेथ हो गयी है, वहां गयी है। शाम तक आ जायेगी। बच्चे स्कूल गए है और पिताजी खेत में है। अब हम और तुम दोनों अकेले हैं।

इतना कहते ही मैंने उसे अपनी बाँहो में भर लिया। और उसे अपने बेडरूम में ले गया। हैरानी की बात ये रही इसपे मेरा उसने जरा सा भी विरोध नही किया। अब मेरी हिम्मत और बढ़ गयी और मैं उसके होठ और गालो को चूमने लगा।

वो बस मौन कर रही थी और विरोध के नाम पे बस… समीर न करो ऐसे, कोई आ जायेगा, आअह्ह्ह… रुक जाओ प्लीज़ ….. किसी ने हमे इस हाल में देख लिया तो आह्ह्ह्ह… अनर्थ हो जाएगा।

लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था। मैं अब उसके मम्मे मसल रहा था। अब आवेश में आकर वो भी मेरा साथ दे रही थी। उसकी आँखे बन्द थी और वो मौन कर रही थी।

अब मैंने उसके कमीज़ को ऊपर करके उसके सफेद सफेद मम्मे को बारी बारी से मुंह में ले लिया और बच्चे की तरह चूसने लगा। वो बस आह्ह… आअह्ह्ह की सिसकिया भर रही थी।

फेर निचे की और होता हुआ उसकी सलवार का नाड़ा खोलते हुए उसकी चूत का हाथ से जायजा लिया। वो ए क दम क्लीनशेव लेकिन थोड़ी गीली थी। मैंने एक दम से उसकी एक टांग से सलवार निकाल दी ताजो किसी के आने के आभास मात्र से ही जल्दी से सलवार पहनी जा सके।

मैंने भी अपनी इलास्टिक वाली निक्कर निचे की और अपना तना हुआ लण्ड नीतू के हाथ में दे दिया। मेरे लण्ड का स्पर्श पाते ही उसकी बन्द आँखे खुल गयी। शायद उसे 1 साल बाद लण्ड देखने की ख़ुशी थी। जो भी था मैंने उसे चूसने का इशारा किया।

वो बोली,”आज नही फेर कभी आज बस तुम अपना लण्ड मेरी चूत में डालकर कमर हिलाओ। ये चूमने चाटने के चक्र में कोई आ गया तो मज़े से वंचित रह जायेगे। किसी दिन वक्त मिला तो तुम्हारी ये ख्वाहिश जरूर पूरी करूंगी। तब तक के लिए सब्र करो।”

मुझे उसकी बात थोड़ी बुरी तो लगी। लेकिन सही होने के कारण मैंने मन समझा लिया। अब मैंने अपने थूक से अपने लण्ड का सिर तर किया और उसकी एक टांग अपने कन्धे पे रखकर हल्की सी कमर हिलाई के लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ उसकी बच्चेदानी से टकरा गया।

जहां इधर वो एक साल बाद लण्ड ले रही थी। वही मैं भी एक महीने बाद चूत का स्वाद ले रहा था। क्या स्वाद था आह्ह्ह शब्द कम पड़ रहे है बताने को। मैं पूरा जोर लगाकर उसको पेल रहा था। वो भी मज़े लेकर गांड उठा उठाकर लण्ड ले रही थी।

कुछ ही पलों में हम इकठे रस्खलित हुए और हांफते हुए एक दूसरे को लिपट गए। जब हम नारमल हुए तो शर्मिंदगी से एक दूसरे से नज़रे चुराने लगे। हमने जल्दी से कपड़े पहने और अलग होकर बैठ गए। इतने में हमारे बच्चे स्कूल से आ गये और नीतू उनसे हेल्लो हाय करके अपने घर चली गयी। उस दिन के बाद हमारे सम्बन्ध और गहरे होते गए।

आप अपने मेल्स के जरिये बताना आपको ये कहानी कैसी लगी हमारा मेल्स भेजने के लिए पता है “deep5696@gmail.com”

आज के लिए इतना ही फेर अगली कहानी में बताऊंगा के कैसे नीतू को उसी के घर पे जाकर चोदा। तब तक के लिए नमस्कार।

Exit mobile version