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पड़ोसी ने तोड़ी मेरी दीदी की सील-19 (Padosi Ne Todi Meri Didi Ki Seal-19)

हिंदी सेक्स कहानी अब आगे-

सलीम सामने था – पसीने में भीगा, लंगोट में कसरत कर रहा था। उसकी बनावट, उसकी चाल, सबमें एक अलग मर्दाना आकर्षण था। उसकी पीठ और कंधे चमक रहे थे।

सलीम ने मम्मी को देखा और मुस्कुरा कर बोला: बताओ रागिनी जी, आज किस बात पर गुस्सा लेकर आई हो मेरे पास?

मम्मी (हल्का सा मुस्कुराते हुए, नकली गुस्से में): आपने मेरी बेटी पर ऐसा क्या जादू किया है जो वो आपकी दीवानी हो गई?

सलीम रुका, सीधा खड़ा हुआ और पास की कुर्सी से तौलिया उठा कर अपना चेहरा और बदन पोंछने लगा।

सलीम: शायद मैंने उसे बस थोड़ा सा ध्यान दिया, वही काफ़ी हो गया।

मम्मी (अब थोड़ी सी चिढ़ कर): मैं आपसे कुछ पूछ रही हूँ, और आप मज़ाक में टाल रहे हो?

सलीम (हँसते हुए): नहीं-नहीं, मैं सच कह रहा हूँ। आपकी बेटी के दिल में प्यार है और शायद असर भी।

मम्मी कुछ पल खामोश रही, फिर उसकी नज़रें सलीम के सीने से होते हुए नीचे की तरफ लंगोट की तरफ़ गई। मम्मी उसका मूसल लंड महसूस कर रही थी, लेकिन वो जल्दी से ख़ुद को संभली और बोली: आपके प्यार का असर मंजू पर है। लेकिन मेरे पर नहीं है, ये समझ लीजिए।

सलीम (उसके करीब आकर, थोड़ी धीमी आवाज में): तो मुझे कुछ ऐसा करना होगा ना, जिससे आप भी गुस्से में नहीं, मोहब्बत में मेरे पास आओ।

मम्मी ने सीधा उसकी आंखों में देखा, उसके चेहरे पर कुछ था, ना तो पूरा गुस्सा, ना ही पूरी मुस्कान। जैसे कुछ दबा हुआ एहसास अंदर से बाहर आने को था।

सलीम ने हल्के से मम्मी के माथे पर अपनी उंगली रखी। फिर धीरे-धीरे उसे नीचे खींचता हुआ गालों से होते हुए उसकी गर्दन तक ले गया। मम्मी की आँखें अपने आप बंद हो गई। जैसे उसने खुद को उस पल के हवाले कर दिया हो। उसकी साँसें हल्की-हल्की तेज हो गई, चेहरा गर्म हो उठा।

सलीम ने उसके कंधे तक पहुँचे हुए हाथ से साड़ी का पल्लू धीरे से सरकाया। कपड़े की हल्की सरसराहट में मम्मी की देह थोड़ी सी सिहर गई। उसने आँखें तो नहीं खोली, लेकिन हल्के से होंठ भींच लिए।

मम्मी का पल्लू जैसे ही सलीम ने धीरे से सरकाया, उनके बूब्स का उभार साफ़ नज़र आने लगा। आज उसने जो ब्लाउज़ पहना था, वो पहले से कुछ ज़्यादा डीप नेक था। कपड़े के उस खुले हिस्से से नीचे की क्लीवेज साफ़ झलक रही थी। सलीम की नज़र वहीं अटक गई थी। चाह कर भी वो अपनी नज़रें हटा नहीं पा रहा था। मम्मी की साँसें थोड़ी भारी हो रही थी, लेकिन उसने अब भी आँखें बंद ही रखी थी। जैसे उसे सब महसूस हो रहा हो, पर वो रोक नहीं रही।

सलीम का लंड लंगोट में अब पहले से ज्यादा कसा और भारी हो गया था। जब उससे रहा नहीं गया, तो उसने धीरे से अपना एक हाथ मम्मी की कमर में डाला और उसे अपने सीने से सटा लिया। मम्मी उसके सीने से लगते ही हल्का सा सिहर गई, और उसके मुँह से एक धीमी सी आह निकल पड़ी।

मम्मी, सलीम की मजबूत बाहों में जाते ही जैसे मोम की तरह पिघलने लगी। उसने अपने दोनों हाथों से सलीम की कमर कस कर पकड़ ली। उसने आज पैरों में हल्के ऊँचाई वाली हिल्स पहन रखी थी, जिससे वो सलीम के होठों तक बिना झुके आराम से पहुँच रही थी।

मम्मी ने अपनी आँखें खोल कर सलीम की आँखों में देखा, अपने गर्म साँसों से उसके होंठों के करीब आकर धीमे से बोली: मैं मंजू के बीच में आ रही हूँ अगर उसे पता चल गया तो?

सलीम ने प्यार से उसके चेहरे पर आया एक लट कान के पीछे सरकाया और मुस्करा कर बोला: मेरी तरफ से उसे कुछ पता नहीं चलेगा और आप कुछ गलत नहीं कर रही हो।

मम्मी ने सलीम की बात सुनते ही अपने होंठ उसके होठों से लगा दिए। सलीम ने भी बिना किसी झिझक के उसे अपनी बाहों में कस कर पकड़ लिया। मम्मी सलीम को किस्स में साथ देते हुवे उसके होंठ चूस रही थी। जैसे उनके होंठ पुरानी यादों को फिर से जी रहे हों। मम्मी की आंखें खुली थी, वो सलीम को महसूस कर रही थी, जैसे उस पल के हर एहसास को अपने अंदर समेट लेना चाहती हो।

आज मम्मी के अंदर कुछ ज़्यादा ही बेचैनी दिख रही थी। वो सलीम के बालों को पकड़ते हुए अपनी चूचियाँ उसके सीने से जोर से रगड़ रही थी।

कुछ ही देर में मम्मी इतनी बेकाबू हो गई कि उसने अपने हाथों से सलीम का लंगोट खोल दिया और उसका मूसल लंड पूरी तरह आज़ाद कर लिया। जब सलीम ने मम्मी के बूब्स पर अपना हाथ रखा और उसे मसलना शुरू किया, तो मम्मी जैसे खुद पर काबू खो बैठी। उसने सलीम को पास खींच लिया, उसके बालों में हाथ फँसाए और उसके होंठों को दीवानेपन में काटने लगी।

सलीम, मम्मी का जोश और बढ़ाने के लिए उनके एक हाथ में अपना लंड थमा देता है। मम्मी लंड को अपने हाथ में लेकर जैसे मदहोश हो जाती हैं। वो उसे धीरे-धीरे सहलाते हुए, अचानक सलीम के होठों पर झुक जाती हैं और उसे चूम लेती हैं। दोनों करीब आठ मिनट तक लिप लॉक में डूबे रहते हैं। फिर मम्मी जैसे ही थोड़ा सँभलती हैं, हल्के-से अपना मुँह अलग करती हैं और नज़रें झुका कर शर्माने लगती हैं।

सलीम, मम्मी का चेहरा ऊपर करते हुए बोला: आप गुस्से से ज़्यादा जोश में प्यारी लगती हो।

मम्मी, सलीम से थोड़ा दूर हुई और पीठ फेरते हुए बोली: सलीम जी, आज मैं आपके पास गुस्से में नहीं, प्यार करने के इरादे से आई थी। पर मुझे लगता है, मैं आपको अपनी जवान बेटी की तरह प्यार नहीं दे सकती।

सलीम: ओहो, आप तो उससे भी अच्छा और बेहतर जानती हैं प्यार देना। मैं तो आपको पहली ही नज़र में देख कर समझ गया था कि आप किस इरादे से आई हैं।

सलीम धीरे-धीरे मम्मी के पास आया, उनकी साड़ी को थाम कर बड़े सलीके से उतारने लगा। मम्मी ने खुद को पूरी तरह उसके हवाले कर दिया था। जब साड़ी उतर गई, तो सलीम ने एक हल्के से अंदाज़ में उनका पेटीकोट भी नीचे सरका दिया।

मैंने देखा कि मम्मी ने साड़ी के साथ मैच करती हुई एक शॉर्ट और बेहद छोटी पैंटी पहनी थी, जो काफी स्टाइलिश लग रही थी। अब वो सलीम के सामने सिर्फ़ ब्लाउज़ और वही पैंटी पहने खड़ी थी। उनके चेहरे पर एक अजीब सी झिझक, हल्की शर्म और घबराहट साफ नज़र आ रही थी।

सलीम ने धीरे से पीछे आकर मम्मी के ब्लाउज़ की डोरी खोल दी। डोरी खुलते ही वो कपड़ा उसके कंधों से सरकता हुआ नीचे गिर गया। मम्मी ने उस दिन ब्लाउज़ के नीचे कुछ नहीं पहना था, शायद जान-बूझ कर। अब वो ऊपर से बिल्कुल नंगी थी, बेझिझक, बस सलीम की नज़रों में डूबी हुई।

फिर मम्मी अचानक पीछे मुड़ी और बिना कुछ कहे सीधा सलीम से लिपट गई। उसका चेहरा सलीम के सीने से लग गया था और उसकी साँसें तेज़ चल रही थी। फिर उसने धीरे से सलीम के होंठ चूम लिए, जैसे बहुत देर से यही करना चाह रही हो।

इसके बाद वो थोड़ा झुकी, सलीम के चौड़े सीने को धीरे-धीरे चूमा और फिर बिना कुछ बोले नीचे ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गई।

उसकी नज़रें सीधी सलीम की आँखों में थी, कुछ बोल नहीं रही थी, बस देख रही थी। फिर उसने सलीम का लंड अपने हाथ में लिया और आगे पीछे करके खेल रही थी। सलीम भी बस उसे ही देख रहा था। फिर उसने धीरे से मम्मी के बालों की क्लिप खोल दी। बाल खुलते ही उसके कंधों पर और पीठ पर फैल गए।

मम्मी ने सलीम को एक प्यारी सी मुस्कान दी और धीरे से उसका लंड अपने मुँह में ले ली। वह बड़े मज़े से उसे चूसने लगी। सलीम अपने हाथ मम्मी के बालों में फेरते हुए उसका मुँह अपने लंड की ओर धीरे-धीरे बढ़ा रहा था। मम्मी भी उसका लंड जितना अंदर ले सकती थी, उतना ले रही थी। कुछ ही देर में उसने सलीम के लंड को पूरी तरह से गीला और चिकना कर दिया।

फिर मम्मी खड़ी हुई, सलीम के सीने से लगकर बोली: सलीम जी, अब मुझसे और सहा नहीं जा रहा। मेरा जिस्म जैसे अंदर से जल रहा है। बिल्कुल उस दिन की तरह। प्लीज़ आज का दिन बस आपका है। मुझे वैसे ही अपने बाहों में भर लो।

फिर सलीम मम्मी को अपनी गोद में उठा कर बेड तक ले गया। मम्मी को प्यार से बेड पर लिटा कर खुद भी पास आ गया। मम्मी ने अपनी पैंटी उतारी और फट से उसकी कुतिया बन गई।

सलीम (थोड़ा करीब जा कर चूत को छू कर, हल्के मुस्कान के साथ): तो पहले इस जान को किस सर्विस का मज़ा चाहिए। मुँह वाली या लंड वाली?

मम्मी (धीरे से मुस्कुरा कर, आँखों में शरारत लिए): सलीम जी, आप जो भी करते हैं, कमाल करते हैं। आपका कुछ भी करना, वो मेरे लिए हमेशा मज़ेदार ही होता है।

सलीम ने मम्मी को पीछे से पकड़ा और धीरे से उसकी गांड को अलग किया। फिर उसने अपना चेहरा नीचे झुका कर अपने होठ मम्मी की चूत पर रख दिया। उसकी गर्म साँस और जीभ का स्पर्श पाते ही मम्मी एक झुरझुरी‌ सी से सिहर उठी। उसके होंठों से धीरे-धीरे दबी-दबी सिसकियाँ और सुकून भरी सांसें बाहर आने लगी।

मम्मी (धीरे-धीरे, सांसों के बीच): सी… ई… ई… ई… आह… सलीम जी… आ… आप… आप पहले मर्द हो… जिसने… मेरी चूत को… अपनी ज़ुबान से छुआ है… आह… उफ्फ्फ… ऐसा सुख… मुझे पहले कभी नहीं मिला… सच्ची…आ… आ… सलीम जी… ये जो आप कर रहे हो ना… ये… ये सब मेरे बदन में कुछ हो रहा है…आपके प्यार का असर… अब मुझ पर भी होने लगा है… सलीम जी… मैं खुद को रोक नहीं पा रही…

सलीम अपनी जुबान चूत पर ऐसे फिरा रहा था जैसे कोई आइसक्रीम के खाली डब्बे का हर कोना साफ़ करना चाहता हो। कभी-कभी वो अपनी दो उंगलियाँ भी वहाँ हल्के अंदर बाहर करता।

मम्मी सलीम के चूत चाटने से मदहोश होकर बोली: आ… आ… आअ… सलीम… ऐसे ही… चाटो… काटो… बहुत मज़ा… आ रहा है…उफ्फ्फ… मैं… आपकी… गुलाम हो गई… आ… ई… ई… ई… आअअ… गई… मैं… गई…

मम्मी सलीम के मुँह पर ही झड़ जाती है, सलीम चूत को पूरी चाट कर साफ कर देता है।

आप को अभी तक की कहानी कैसी लगी मुझे deppsingh471@gmail.com पर मेल करे।

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