Aur Hum Pyaase Hi Reh Gaye – Part 2

हलो दोस्तों आपका अपना दीप पंजाबी काफी समय बाद आपकी सेवा में इस कहानी का अगला पार्ट लेकर हाज़िर है। इस कहानी का पहला पार्ट आप यहाँ पढ़ सकते है।

वैसे तो मेरी पहचान बताने की जरूरत नही है। पुराने दोस्त तो मुझे जानते ही है।लेकिन जो नए दोस्त इस साईट पे आये है। उनके लिए बतादू के मैं दीप पंजाबी, श्री मुक्तसर साहिब पंजाब से हूँ। मेरी डेढ़ दर्जन के करीब कहानिया इस साईट ने पब्लिश की है। जिसके लिए मैं तह दिल से इनका शुक्र गुज़ार हूँ।

आप ने मेरी एक पुरानी कहानी तो पढ़ी होगी। जिसमे मैंने एस.टी.डी/पी.सी.ओ में एक पड़ोसन भाभी के साथ रोमांस के दौरान ऊपर से उसकी बेटी आ जाने जिक्र किया था, जिन दोस्तों ने नही पढ़ी वो मेरी “अधूरी प्यास” नाम की कहानी जरूर पढ़े। ये कहानी उसी कहानी का अगला भाग है।

अब आपका ज्यादा समय खराब न करते हुए सीधा आज की कहानी पे आते है।

पिछली कहानी में आपने पढा ही होगा के वो भाभी मुझे अकेले में ही अपने घर पे बुलाती थी। गर्मियों के दिन थे, तो एक दिन ऐसे ही दुकान पे अकेला था। उस भाभी का आना हुआ। वो आते ही बोली,” दीप थोड़ी देर के लिए फ्री हो क्या ?

मैं उस वक्त हिसाब किताब जोड़ रहा था तो बही खाता की किताब बन्द करके उसकी बात पे ध्यान देने लगा।

मैं — हाँ भाभी बोलिये, क्या मदद कर सकता हू आपकी आज मैं ??

वो — आज सुबह से ही किचन में लाइट की दिक्कत आ रही है। सुबह से फ्रिज़ भी बन्द पडा है। एक बूँद भी घर पे पीने वाले ठंडे पानी की नही है।
प्लीज़ आकर देख दो कहाँ से खराबी है? इस वक़्त कोई आस पड़ोस में बिजली ठीक करने वाला भी नही मिलेगा और थोड़ी देर में बच्चे भी स्कूल से वापिस आने वाले है।

मैं — लेकिन भाभी मुझे तो रिपेयर का काम नही आता, हाँ मेरा एक दोस्त है, उसे फोन करके बुला लेता हूँ। अगर आपको कोई ऐतराज़ न हो तो !

वो — नही किसी को भी नही बुलाना, आप आओ और एक बार देख आओ, समझ आये तो ठीक कर देना वरना वापिस लौट आना।

मैं — ठीक है भाभी ।

दुकान का दरवाजा बन्द करके मैं उसके साथ ही उसके घर चला आया।

हमारे घर आते ही भाभी ने गली वाला दरवाजा बन्द कर दिया। मुझे थोडा आभास हो गया के ये मुर्गी आज हलाल करके ही छोड़ेगी। शायद आज भी किसी बहाने से बुलाकर लाई है। उस वक्त हम दोनों के इलावा घर पे कोई भी नही था। सो डरने और झिझकने का तो सवाल ही नही पैदा होता था।

भाभी मुझे किचन में ले गई। उनका किचन बहुत ही छोटा सा था। काफी सामान पड़ा होने की वजह मुश्किल से ही दो बन्दे एक साथ खडे हो पाते थे। भाभी मेरे आगे और मैं उनके पीछे खड़ा था। एक कोने में उनका नया फ्रिज़ पड़ा था। उसका दरवाजा खोलकर वो ली,” ये देखिये एक दम शांत पड़ा है फ्रिज़, इसके अंदर जरा सी भी ठंडक नही है और इसके बीच पड़ा सामान खराब हो रहा है, इसमें लाइट नही आ रही। कल शाम तक तो सब बढ़िया चल रहा था। अभी नया लिये को 3 महीने भी नही हुए है। 9 महीने के लगभग की गारंटी भी पड़ी है।

मैं – भाभी फेर आप मेरी बात मानो तो किसी को भी न दिखाओ इसे, क्योके नया होने की वजह से इसकी गरंटी पड़ी है। यदि किसी भी और मिस्त्री ने इसकी रिपेयर की तो इसकी गरंटी खत्म हो जायेगी।ये मत सोचना के मैं काम से भाग रहा हूँ, मेरी वजह से आपका नुकसान न हो जाये बस मेरा यही मकसद है। आप मेरी मानो तो जिस जगह से आपने नया फ्रिज़ खरीदा है। उस दुकान के मालिक को फोन करो। उनका आदमी घर पे आकर फ्री में ठीक करके जायेगा। यहाँ से किसी से करवाओगे तो पैसे भी अलग से लेगा और गरंटी भी खत्म कर देगा।

वो — वो मुझे नही पता, मुझे तो इतना पता है के तुम इसे चला सकते हो और इस वक्त पानी भी नही है पीने वाला घर पे। कब शहर से इसकी रिपेयर वाला आएगा और कब चालू करके जायेगा तब तक तो घर में कोहराम मच जायेगा और इतना कहकर तुम बचकर नही जा सकते। हाँ जितनी तुम्हारी फीस बनी बता देना, दे दूंगी। अब जल्दी से काम पे लग जाओ।

मैं – चलो ठीक है, जैसी आपकी मर्ज़ी, आपके घर पलास तो होगा न ले आओ, देख लेते है।

भाभी — हाँ है, एक मिनट रुको अभी लेकर आती हूँ।

और जैसी ही वो पीछे, बाहर जाने के लिए मुड़ी तो आगे जगह कम होने की वजह से मेरी और अपनी गांड करके निकलने लगी तो उसकी गांड मेरे लण्ड से घिसड गयी। मानो जैसे सुखी बेलों को पानी मिल गया हो। एक पल के लिए तो जैसे मज़ा आ गया। दिल तो चाह रहा था के जैसे ये पल ऐसे ही यहां रुक जाये।

मैंने भी उसको कमर से पकड़ लिया और कुछ पल के लिए ऐसे ही रहने का इशारा किया। वो मेरा इशारा समझ गयी और हल्की सी स्माइल से हंस दी। उसकी हंसी को ग्रीन सिग्नल समझकर मैंने भी पहल करने की हिम्मत करदी। मैंने उसको पीछे से ही पकड़कर कान की पेपड़ी पे हल्का हल्का काटना शुरू कर दिया।

पहले तो वो हट जाओ दीप, ये क्या कर रहे हो, छोड़ दो कोई आ जायेगा, हमारी बहुत बदनामी होगी जैसी बाते करने लगी। लेकिन मैंने उसकी कोई बात नही मानी और मन को इकागर करके अपने काम में लगा रहा। धीरे धीरे उसके मुंह से सिसकिया निकलने लगी। उसकी आँखे बन्द हो चुकी थी। वो और मैं आँखे बन्द किये रोमांस में खोये हुए थे।

इतने में उसे पता नही क्या सूझा वो बोली,” ऐसा करो दीप पहले अपना फ्रिज़ वाला काम निपटा लेते हैं। बाद में ये भी कर लेंगे। अब हाथ आया शिकार मैं कैसे निकलने देता। मैंने उसे कहा,” नही जी, अब फुल मूड बना है। बाद में आपके बच्चे भी स्कूल से आ जायेंगे। बाद की बाद में ही रह जायेगी। कुछ भी न बोलो आप बस चुप चाप मज़ा लेते रहो। उसको मेने पलटा लिया।

अब उसका चेहरा मेरे चेहरे के बिलकुल सामने था और मैंने दोनों हाथो से उसका चेहरा पकड़कर उसके नरम नरम होठो को अपने होंठो में कैद कर लिया। क्या एहसास था यार, उस पल का.. शब्दों में बयान नही कर सकता। वो भी मेरा लिप किस में भरपूर साथ दे रही थी।

मैंने उसके उरोजों को भींचना शुरू कर दिया। उसने कोई विरोध नही किया।इसका मतलब साफ था के उसकी भी रजामंदी है, एकाएक उसकी नज़र दीवार घड़ी पे गयी और बोली, हमारे पास गिनती के 30 मिनट है। जो भी करना है जल्दी करलो बच्चों के स्कूल से आने का वक्त हो गया है।

मैंने वहीं खड़े खड़े उसकी सलवार का नाडा खींच दिया। उसकी सलवार गिरकर उसके पैरों में आ गयी। इसमें हम दोनों हंस दिए। मैंने उसे शेल्फ पे बिठाया और उसकी टंगे चौड़ी करके क्लींशेव चूत का ऊँगली से जायज़ा लिया। जो गर्म गरम कामरस उगल रही थी। मेने अपनी पैंट की बेल्ट और ज़िप खोली और पैंट घुटनो तक करके अपना तना हुआ लण्ड उसकी चूत में पेल दिया।

4 बच्चों की माँ होने के बावजूद भी भाभी की चूत को देखकर लग ही नही रहा था के शादी के 10-15 साल हो गए होंगे। मैंने अपनी कमर हिलानी चालू करदी। भाभी मुझे बाँहो में लेकर उस पल का मज़ा ले रही थी। वो काफी दिनों से सेक्स की भूखी लग रही थी। उसने बताया के अब उसका पति उसकी केयर नही करता।

महीने में एक दो बार ही सेक्स करता है। हमारा सेक्स यही कोई 10 मिनट तक मुशकिल से चला होगा। ये कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट से पढ़ रहे है। हम दोनों एक साथ रस्खलित हुए और अपने अपने कपड़े पहन कर ऐसे हो गए के जैसे कुछ हुआ ही न हो।

कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।

मैंने उसे किचन से बाहर, बेडरूम से पलास लेने भेज दिया। मेने देखा के फ्रिज़ की तार का 3 पिन प्लग थोडा सा जला हुआ है। शायद ज्यादा लाइट आने की वजह से वो सड़ गया था। मैंने प्लास से उसे काटकर तार छीलकर वैसे ही फ्रिज़ चला दिया। इतने में भाभी के बच्चे भी स्कूल से आ गए और मैं फ्रिज़ को ठीक करके अपने घर आ गया।

सो दोस्तों ये थी मेरी नई आप बीती, आपको जैसी भी लगी अपने सुझाव “[email protected]” पर भेजने की कृपालता करे। आपके मेल्स का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार रहेगा। आपकी बड़ी मेहरबानी होगी। जल्द ही एक और नई कहानी लेकर फेर हाज़िर होऊंगा तब तक के लिए अपने दीप पंजाबी को दो इज़ाज़त नमस्कार, शब्बा खैर…

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