Attendance Ke Liye Chudwaya – Part 3

अब आगे की कहानी – प्रोफेसर ने मेरी चूत से लंड निकाल कर मुझे बैॅड पर उल्टा लेटा दिया और मेरे पेट के नीचे तकिया लगा दिया। तकिये की वजह से मेरी गांड ऊपर उठ गई। प्रोफेसर ने मेरी गांड के छेद के ऊपर तथा गांड की छेद में उंगली डालकर अच्छे से नारियल का तेल लगा दिया और उसने अपने लंड पर भी अच्छे से तेल मसल लिया।

मेरी गांड का छेद अब अंदर-बाहर से बिल्कुल चिकना हो गया था और मेरी गांड ललंड लेने केलिए मचल रही थी। प्रोफेसर मेरे चूतड़ दबाते हुए बोला हां मेरी गर्मागर्म अर्श रंडी गांड चुदवाने को तैयार हो। मैंने कहा पूछ क्या रहे हो डार्लिंग बस गांड में डालकर मेरी गांड को निहाल कर दो। प्रोफेसर ने मेरी गांड के छेद पर लंड टिका लिया और इससे पहले वो झटका मारे मैंने अपनी गांड को तेजी से पीछे धकेल दिया।

मेरे एक ही झटके में प्रोफेसर का लंड तेल की चिकनाई एवं मेरे झटके की ताकत से गांड की गहराई में उतर गया। प्रोफेसर के मुंह से मस्ती भरी आह निकल गई और मैं भी मस्ती से चीख पड़ी। प्रोफेसर मेरी गांड की गहगहराई का मजा लेते हुए बोला साली तुझ में तो बहुत आग है बहुत जल्दी है गांड चुदवाने की। मैं गांड में लंड का मजा लेते हुए कुछ ध बोली और अपनी गांड हिला कर गांड में लंड को हिलाने लगी।

प्रोफेसर नए अपने हाथ बैॅड पर जमा लिए और लंड को पीछे खींच कर फिर से मेरी गांगांड में पेल दिया। वो तेजी से मेरी गांड चोदने लगा और मैं भी अपनी गांड उचका उचका कर गांड में प्रोफेसर का लंड अंदर-बाहर करने लगी। इस टाईम चुदाई अपने शबाब पर थी और लंड एवं गांड एक-दूसरे का आनंद ले रहे थे।

प्रोफेसर का पेट हर झकटे के साथ मेरे चूतडो़ं पर आकर लगता और मेरे कोमल चूतडो़ं से होकर मस्ती भरी तरंगें मेरे पूरे बदन में भर जाती। मैं गांड चुदाई के एक एक पल का आनंद ले रही थी और प्रोफेसर के हर झटके से मेरा जोश और बढ़ जाता। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे भगवान ने हमें ये चुदाई का आनंद भोगने केलिए ही मिलवाया है।

प्रोफेसर ने मेरी गांड के छेद से लंड बाहर निकाल लिया और सोफे पर बैठ गया। उसने मुझे सोफे पर आने का इशारा किया। मैंने उसके पास जाकर उसके लंड को हाथ में लेकर हिलाया और लंड के टोप्पे को चूम लिया। प्रोफेसर का लंड गर्म लोहे की तरह आग उगल रहा था और अकड़ कर छत्त की तरफ सीधे खड़ा था। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।

मुझे उसके लंड पर बहुत प्यार आ रहा था क्योंकि मेरी बहुत अच्छे से चुदाई हो रही थी। मैंने एक बार फिर उसके लंड को चूमा और सोफे पर आ गई। मैंने प्रोफेसर के कंधों पर हाथ रखे और घुटने मोड़ कर अपनी गीली चूत का छेद उसके लंड पर टिका कर उसकी गोद में आ गई। मैंने तेजी से अपनी गांड नीचे को धकेल दी और प्रोफेसर का लंड फच्च की आवाज से मेरी चूत में समा गया।

मैं प्रोफेसर के कंधों को कस कर पकड़ कर उछल उछल कर अपनी चूत में लंड अंदर-बाहर करने लगी और प्रोफेसर मुझे कमर से पकड़ कर नीचे से मेरी चूत में झटके मार कर मेरी चूत चोदने लगा। प्रोफेसर का लंड और मेरी चूत अपनी-अपनी गर्मी निकाल रहे थे और हम मदमस्त हुए चुदाई लीला में मगन थे। जब मैं प्रोफेसर के लंड को अपनी गांड उछाल उछाल कर चूत के अंदर-बाहर कर रही थी तब प्रोफेसर की नज़र मेरे हवा में डांस कर रहे बड़े बड़े बूब्ज़ को निहार रही थी।

प्रोफेसर ने मेरे डांस कर रहे बूब्ज़ को अपने मजबूत हाथों में थाम लिया और मैं मस्ती में किलकारियां मारते हुए और तेजी से अपनी गांड उछालने लगी। हम दोनों अपनी काम वासना शांत करने केलिए तेजी से चुदाई करने में लीन थे और हम दोनों के मुंह से कामुक आंहें निकल कर पूरे रूम में गूंज रही थीं। जितनी जोर से हम चुदाई करते उतनी जोर से कामुक आवाजें रूम में गूंजने लगतीं और जितनी आवाजें गूंजती उतने ही ज्यादा जोश से हम चुदाई करते।

चुदाई करते करते मैंने अपने होंठों को प्रोफेसर के होंठों पर लगा दिया और हम एक-दूसरे के होंठों का रसपान करते हुए चुदाई करने लगे। चूत चुदाई करते करते मेरी गांड को लंड की प्यास लग उठी और मैंने प्रोफेसर के लंड को अपनी चूत से निकाल कर अपनी गांड का छेद उसके लंड पर लगा दिया। जैसे ही मैं अपनी गांड को नीचे झटका देने लगी प्रोफेसर ने मुझे कमर से पकड़ कर कहा अभी धीरे-धीरे जाने दो जानूं। मैंने अपनी गांड को ढीला छोड़ दिया और धीरे-धीरे अपनी गांड को नीचे दबाने लगी।

प्रोफेसर का लंड मेरी गांड की दीवारों से सटा हुआ मेरी गांड में प्रवेश करने लगा और पूरा मेरी गांड में समा गया। मैंने प्रोफेसर के कंधों पर हाथ रख कर फिर उछल-कूद चालू कर दी और प्रोफेसर भी नीचे से कमर चला कर मेरी गांड में अपना लंड पेलने लगा। तेल की चिकनाई की वजह से प्रोफेसर का लंड मेरी गांड में गपागप अंदर-बाहर हो रहा था और हम दोनों चुदाई की दुनियां में खोए हुए जबरदस्त चुदाई कर रहे थे।

हम दोनों इतने मस्त होकर चुदाई कर रहे थे कि सब कुछ भूल कर सिर्फ चुदाई ही याद थी। मैं अपनी गांड को एकदम ऊपर खींच कर नीचे तेजी से धकेल देती और प्रोफेसर भी जोर जोर से शॉट मार रहा था। हम दोनों इस काम क्रीड़ा का भरपूर आनंद लेने केलिए जी जान से चुदाई का रंगीन खेल खेलने में मस्त थे और हम दोनों की मदमस्त आवाजें तथा चुदाई की फच्च फच्च की आवाजें इस समम को और रंगीन बना रही थीं। चुदाई इतनी जबरदस्त हो रही थी कि एसी चलने के बावजूद हम दोनों पसीने से तर व तर हो चुके थे।

अब मैं प्रोफेसर की गोद से उतर कर नीचे आ गई और बैॅड पर हाथ रखकर आगे झुककर खड़ी हो गई। प्रोफेसर मेरे पीछे घुटनों के बल बैठ गया और मेरी चूत में जीभ डालकर चाटने लगा। मैं मस्ती में मचलती हुई अपनी चूत उसके मुंह पर रगड़ने लगी। प्रोफेसर खड़ा होकर मुझे अपना लंड चूसने केलिए बोलने लगा और मैं घुटनों के बल नीचे बैठ गई। प्रोफेसर का दमदार लंड मेरे मुंह के पास था और मैंने उसके लंड को हाथ से तेजी से हिलाने के बाद अपने मुंह में ले लिया।

मैं उसके पतालू पर हाथ घुमाते हुए उसके लंड को चूसने लगी और प्रोफेसर मेरे बालों में उंगली घुमाते हुए कामुक आंहें भरने लगा। कुछ देर बाद प्रोफेसर ने मुझे सिर से कस कर पकड़ लिया और अपनी कमर चला कर मेरा मुंह चोदने लगा। प्रोफेसर का लंड एक बार फिर झटकों के साथ मेरे गले की गहराई में खेलने लगा। प्रोफेसर ने मुझे बैॅड के सहारे घोड़ी बना कर खड़ी कर दिया और पीछे से मेरी चूत में लंड पेल दिया।

प्रोफेसर मेरी चूत में बहुत तेजी तथा जोर से अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा और मैं भी आगे-पीछे होकर उसके लंड से अपनी हो रही ताबड़तोड़ चुदाई का आनंद लेने लगी। मेरे गांड को तेजी से आगे-पीछे करने से चुदाई की रफ्तार दोगुनी हो गई और फच्च फच्च की आवाजें भी बहुत तेजी से आने लगीं। तभी प्रोफेसर ने अपना लंड मेरी चूत से निकाल कर मेरी गांड में दे दिया। प्रोफेसर बहुत तेजी से मेरी गांड चोदने लगा और मैं भी अपनी गांड को गोल गोल घुमा कर गांड चुदाई का आनंद लेने लगी।

थोड़ी देर बाद प्रोफेसर की चोदने की रफ्तार काफी बढ़ गई, मैं समझ गई कि अब वो झड़ने वाला है और मैं भी उतनी ही तेजी से अपनी गांड आगे-पीछे उछालने लगी। कुछ ही देर में प्रोफेसर ठंडी आंहें भरते हुए मेरी गांड में झड़ गया और उसके गर्म वीर्य से मेरी गांड लबालब भर गई। हम दोनों ऐसे ही नंगे बैॅड पर लेट गए। प्रोफेसर के मुंह पर संतुष्टी के भाव थे और मैं भी चुदाई के बाद बहुत खुश थी क्योंकि प्रोफेसर ने मेरी चुदाई की आग को बहुत अच्छे से शांत किया था।

कुछ देर बाद प्रोफेसर उठा और शर्ट की जेब से मुझे रोल नंबर की स्लिप निकाल कर मुझे दे दी। मैंने वो स्लिप पर्स में रखकर फिर बैॅड पर लेट गई। प्रोफेसर ने मुझ से जुर्माना भी नहीं लिया और हमने एक बार फिर से चुदाई का खेल खेला और इस बार प्रोफेसर ने अपना वीर्य मेरे मुंह में गिराया।

मुझे उसके गर्म वीर्य का नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लगा। चुदाई के बाद प्रोफेसर मुझे बस स्टैंड पर छोड़ गया और मैं घर आ गई। उसके बाद उस प्रोफेसर और मैंने कई बार उसके घर पर चुदाई की। जब तक मैं उस कॉलेज में पढी़ तब सम दोनों महीने में कम से कम एक बार चुदाई जरूर करते। एक बार उसने मुझे अपने दोस्त के साथ मिलकर भी चोदा।

ये थी मेरी अपने प्रोफेसर के साथ चुदाई की कहानी। अब अगली गर्मागर्म कहानी के साथ फिर मुलाकात होगी तब तक सभी को चुद्दकड़ अर्श का सलाम.. और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.

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