Aakhiri Dagar, Purane Humsafar – Episode 7

This story is part of the Aakhiri Dagar, Purane Humsafar series

    रूबी के बताये उपाय के तहत मैं उसके घर पर अपनी चूत में उस से ऊँगली करवा कर मजे ले रही थी कि तभी डोरबेल बजी।

    रूबी ने मै दरवाजा आधा ही खोला था और किसी से बातें कर रही थी। थोड़ी देर बात करने के बाद उसने दरवाजा बंद कर दिया। मुझे आवाजे साफ़ सुनाई नहीं दे रही थी तो समझ नहीं आया कि क्या हुआ।

    रूबी ने अब दरवाजा बंद कर फिर सोफे के करीब आयी और मुझे इशारा किया. मै एक बार फिर उस नंगी हालत में आधी चुदी हुयी सोफे पर आकर बैठी.

    मैं: “कौन था?”

    रूबी: “मेरा एक आशिक था”

    मैं: “मजाक मत कर”

    रूबी: “मेरा पडौसी था, अकेली औरत आसान शिकार होती हैं। लाईन मारता रहता हैं मुझ पर”

    मैं: “तुमने उसकी शिकायत नहीं की?”

    रूबी: “शिकायत क्या करनी हैं, मै खुद संभाल लेती हूँ उसको. मुझे मर्दो को टरकाना आता हैं”

    मैं: “कैसे भगाया उसको?”

    रूबी: “वो मुझे पूछ रहा था कि क्या कर रही हो?”

    मैं: “फिर!”

    रूबी: “फिर क्या! मैंने बोल दिया कि चूत में ऊँगली कर रही थी”

    मैं: “ओह! तुम उस से इस तरह की बातें करती हो?”

    रूबी: “ऐसे मर्दो को ऐसी बातें करके ही तो संभालते हैं”

    मैं: “तुम ऐसी बातें करती हो तो उसको तो सिगनल मिलता हैं ना! किसी दिन तुम्हारे साथ कुछ कर दिया तो”

    रूबी: “उसकी हिम्मत नहीं हैं”

    मैं: “तुमने बोला चूत में ऊँगली कर रही हो और उसने कुछ नहीं कहा!”

    रूबी: “बोला ना, उसने कहा कि ऊँगली दिखाओ. मैंने उसको अपनी ऊँगली टेस्ट करवा दी”

    मैं: “तुम पागल हो क्या? तुमने मेरी चूत के पानी से भीगी ऊँगली एक गैर मर्द को चटवा दी !!”

    रूबी: “हां तो क्या हो गया, उसको तो यहीं लगा ना कि मेरी चूत में भीगी ऊँगली हैं। उसने तो उल्टा तारीफ ही की, उसको टेस्ट बहुत पसंद आया, तुम्हे तो उल्टा खुश होना चाहिए”

    मैं: “तुम बहुत खतरनाक हो, तुम ऐसे मर्दो से बच कर रहना”

    रूबी: “मैने उसको चूत का पानी टेस्ट करवाया, फिर उसको भागा दिया ना! मुझे मर्दो को भगाना आता हैं”

    मैं: “मुझे बहुत बुरा लग रहा हैं, मेरी चूत का पानी किसी ऐसे मर्द ने टेस्ट किया हैं जो ठरकी हैं। तुम्हे ऐसा नहीं करना चाहिये था”

    रूबी: “तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे तुम्हारी चूत तुम्हारे पति के अलावा कभी किसी ने चाटी ही नहीं होगी”

    मैं: “फालतू बातें मत करो. मै जा रही हूँ”

    रूबी: “काम तो पूरा करवा लो, नहीं तो रात को अपने पति से चुदवाना पड़ेगा”

    मै फिर से अपनी पोजीशन बना कर बैठ गयी। रूबी ने एक बार फिर अपनी ऊँगली का जादू मेरी चूत में दिखाया और मै सिसकियां मारते हुए अगले कुछ मिनट में जड़ गयी। अब रूबी ने अपनी ऊँगली मेरी चूत से निकाली तो मेरे पानी से भर गयी थी।

    रूबी: “तुम बोलो तो अपनी यह भीगी हुयी ऊँगली अपने पडौसी को चखा कर आती हूँ, उसका भी भला हो जाऐगा”

    मैं: “तुम मेरे साथ वाशरुम में चलो और अपनी ऊँगली धो डालो”

    मै रूबी को लेकर वाशरूम में गयी और पहले उसके हाथ धुलवाये और फिर अपनी सफाई करने के बाद मै बाहर आयी। फिर मैंने कपड़े पहने और रूबी को धन्यवाद बोलते हुए अपने घर आयी।

    दो दिन बिना चुदाये रहने के बाद रूबी की ऊँगली से चुदाई से मै काफी सेतुष्ट महसूस कर रही थी। लगातार तीसरी रात मैंने अशोक को नहीं चोदने दिया।

    उसको यहीं लगा कि मै पूजा के थप्पड़ के झटके से अभी नहीं उभरी हूँ. उसने मेरे साथ कोई जबरदस्ती नहीं की, मेरे लिए काम थोड़ा आसान हो गया था।

    अगले दिन ऑफिस में मै खिली खिली सी थी और रूबी को तो पता ही था। मैंने उसको 3 उंगलिया उठा कर इशारा कर दिया कि मैंने 3 दिन कण्ट्रोल कर लिया हैं। दोपहर में हम फिर टहलते हुए बात कर रहे थे.

    रूबी: “आज शाम मेरे घर चल रही हो?”

    मैं: “नहीं, मै अभी अच्छा महसूस कर रही हूँ. मुझे लगता हैं मै एक सप्ताह कण्ट्रोल कर पाउंगी. अगर जरुरत हुयी तो मै कल शाम को तुम्हारे घर आ जाउंगी”

    उस रात भी मैंने अशोक को मुझे चोदने नहीं दिया और उसने ज्यादा फोर्स नहीं किया. मुझे अच्छा लग रहा था कि मै सही दिशा में जा रही हूँ.

    अगले दिन ऑफिस में रूबी से फिर टहलने के दौरान बातचीत हुयी. मैंने उसको बता दिया कि अब 4 दिन हो चुके हैं और मैंने अशोक से चुदाई नहीं करवाई थी।

    रूबी: “आज शाम को आ रही हो, मेरा पडौसी तुम्हे बहुत याद कर रहा था”

    मैं: “क्या!! तुमने उसको बता दिया मेरे बारे में?”

    रूबी: “नहीं, कल शाम को फिर आया था, बोल रहा था कि उस दिन उसको टेस्ट बहुत अच्छा लगा। थोड़ा और मांग रहा था। बहुत तड़प रहा था बेचारा. मैंने उसको बोल दिया अगली बार चूत में ऊँगली करुंगी तो बता दूंगी”

    मैं: “मुझे तो तुम समझ में नहीं आती हो. ऐसे कैसे किसी मर्द के साथ बातें कर सकती हो!”

    रूबी: “जैसी दुनिया, वैसे ही रहना पड़ता हैं। तुम शाम को आ रही हो या नहीं. उसको तुम्हारी क्रीम चटवानी हैं”

    मैं: “आज शाम को मै तुम्हारे यहाँ आना चाहती थी, पर अब यह सुनकर मैंने प्लान ड्राप कर दिया हैं”

    रूबी: “नाराज क्युँ हो रही हो! मै थोड़े ही उसको बताउंगी कि यह तुम्हारा पानी हैं। उसको यहीं लगता हैं कि वो मेरा पानी था”

    मैं: “कुछ भी हो, पर मुझे तो पता हैं ना कि मेरा पानी कोई गैर मर्द चाट रहा हैं। मुझसे यह बर्दाश्त नहीं होगा”

    रूबी: “अपने पति को बर्दाश्त कर रही हो, पर तुम्हारा बेकार पानी किसी के काम आ रहा हैं वो तुम्हे बर्दाश्त नहीं !”

    मैं: “नहीं मेरा मन नहीं मानता”

    रूबी: “मै तुम्हारी मदद कर रही हूँ, तुम मेरी मदद कर दो”

    मैं: “मेरी चूत का पानी तुम्हारा पडौसी चाटेगा तो तुम्हारा क्या भला होगा?”

    रूबी: “अरें वो बहुत काम का पडौसी हैं, इसलिए तो उसको सहन कर रही हूँ. तुम्हारी चूत का पानी टेस्ट कर उसको ख़ुशी मिलती हैं तो आगे मेरी कोई मदद ही करेगा. बोलो चलेगा तुम्हे?”

    मैं: “अगर तुम्हारा कोई फायदा हो रहा हैं तो ठीक हैं। पर तुम उसको नहीं बताओगी कि यह मेरी चूत का पानी हैं”

    रूबी: “उसको यह बता दूंगी तो मेरा ही नुकसान हैं”

    मैं: “तुम अपनी चूत का पानी क्युँ नहीं चखा देती उसको?”

    रूबी: “मेरी चूत का पानी तो मेरे पति ने भी पसंद नहीं किया, जो कि मुझे दिन में 2-3 बार चोदता था, फिर वो पडौसी कैसे पसंद करेगा. उसको एक सेकण्ड में पता चल जाऐगा कि उस दिन का पानी अलग था”

    मैं: “इसलिए बोलती हूँ, स्मोकिंग और शराब की आदत छोड़ दो. हेल्दी खाना खाया करो”

    रूबी: “वो तो मुश्किल हैं। अपने गम मिटाने के लिए भी कुछ चाहिए”

    शाम को मै एक बार फिर रूबी के घर पर थी। मैंने सारे कपड़े उतार दिए थे और अपनी पोजीशन ले ली थी। रूबी ने एक बार फिर अपनी उंगलियों से मेरी चूत को चोद दिया था। उंगलियों से चुदवाने से लंड के जितनी मजा नहीं आता पर कम से कम में जड़ रही थी जिसकी से मै अपने पति को मुझसे दूर रख पा रही थी।

    मै सिसकियां मारते हुए एक बार फिर जड़ चुकी थी और रूबी की उंगलिया मेरे पानी से भर चुकी थी। उसने एक बार फिर ऊँगली मेरी चूत में घुसा दी और अंदर ही रखी।

    अपना एक हाथ की दो उंगलिया मेरी चूत में दबाए रखते हुए उसने अपने पडौसी को फ़ोन किया और आने को बोला कि वो उसको चूत का पानी चटवायेगी.

    मैं: “ऊँगली बाहर निकालो, मै अंदर जा रही हूँ, तुम पडौसी को ऊँगली चटवा देना”

    रूबी: “डोर बैल बजने तक रुको, ऊँगली बाहर निकाल दूंगी तो मेरी उंगली पर लगा पानी सुख जाऐगा. ताजा ताजा उसको चटवाउंगी तो उसको भी मजा आएगा ना”

    रूबी अपनी ऊँगली मेरी चूत में ही घुमा घुमा कर अपनी उंगलिया गीली करती रही और फिर डोर बैल बजी. मै सोफे पर ही उछल पड़ी.

    रूबी ने अपनी ऊँगली बाहर निकाली और मै भाग कर वाशरूम में चली गयी। रूबी अपनी भीगी हुयी ऊँगली लेकर दरवाजा खोलने गयी।

    मै अंदर से सिर बाहर निकाले देखने का प्रयास कर रही थी। रूबी ने एक बार फिर पडौसी को अंदर नहीं आने दिया। पर शायद वो अंदर आने की ज़िद कर रहा था।

    फिर शायद वो शांत हुआ क्युँ कि रूबी ने अपनी ऊँगली पडौसी के मुंह में रख दी थी। फिर उसने पडौसी को रवाना कर दिया और दरवाजा बंद कर दिया था।

    रूबी ने मुझको बताया कि उसका पडौसी मेरी चूत के पानी का दीवाना हो चुका हैं। मन ही मन मै गर्व महसूस कर रही थी पर सामने से शर्मा भी रही थी।

    अपने वादें के मुताबिक मै सप्ताह में सिर्फ एक बार विकेंड पर अशोक के साथ चुदवाया. पर सप्ताह के दौरान मै दो बार रूबी के घर जाकर उसकी उंगली से चुदवा लेती.

    अब यह मेरा विकली रुटीन बन गया था। इस तरह एक महीना निकल गया। रूबी इसी तरह मेरी चूत का पानी अपने पडौसी को चटवाटी रही. जब मेरे पिरीयड होते उस सप्ताह मै कुछ नहीं करती .

    रूबी भी अपने पडौसी को बहाना मार देती कि उसका पिरीयड हैं। रूबी ने बताया कि जैसे लोगो को शराब का लत लग जाती हैं वैसे ही उसके पडौसी को मेरी चूत के पानी को चखने की लत लग चुकी हैं।

    अगले कुछ सप्ताह में मैंने फ्रीक्वेंसी बढा दी. अब मै अशोक के साथ एक सप्ताह की बजाय 10 दिन में एक बार, फिर2 सप्ताह में एक बार चुदवाने लगी।

    अशोक ने भी अब अपनी आदत सुधार ली थी और मुझे दबाव देना बंद कर दिया था। मेरा बाकी का काम तो रूबी कर ही देती. जल्दी ही मै अपना टारगेट प्राप्त कर दिया और एक महीने तक मैंने अशोक के साथ नहीं चुदवाया था। मै बहुत खुश थी और रूबी को भी बताया तो वो मेरे लिए भी खुश हुयी.

    रूबी: “तो आखिर तुमने कर दिखाया!”

    मैं: “तुम्हारी मदद के बिना मुश्किल था”

    रूबी: “तो फिर सेलिब्रेट करे?”

    मैं: “क्या करना हैं बोलो?”

    रूबी: “मेरे पडौसी को लाइव तुम्हारी चूत का पानी पिलाना हैं”

    मैं: “क्या मतलब हैं तुम्हारा? मै किसी मर्द को मुझे हाथ नहीं लगाने दूंगी और ना ही नंगी होउंगी”

    रूबी: “जो तुम समझ रही हो वैसे नहीं. मेरा पडौसी दरवाजे के बाहर होगा और हम दोनो अंदर. मै तुम्हारी चूत में ऊँगली डालुंगी और फिर बाहर निकाल कर पडौसी को पिला दूंगी. उसको लगेगा मै अपनी चूत में ऊँगली डाल कर चटवा रही हूँ”

    मैं: “और वो अंदर आ गया तो! सारा भांडा फूट जाऐगा”

    रूबी: “मै दरवाजा चैन लगा कर रखुंगी। सिर्फ एक हाथ आने जाने जितनी जगह रहेगी, वो अंदर नहीं आ पाएगा”

    मैं: “यह करना जरुरी हैं क्या? तुम वैसे भी उसको मेरा पानी चखा तो रही हो”

    रूबी: “एक ऊँगली भर पानी से उसका पेट नहीं भरता. बार बार ऊँगली डाल कर उसको ढेर सारा ताजा पानी चटवाउंगी तो उसको मजा आएगा”

    मैं: “ऐसी क्या जरुरत हैं?”

    रूबी: “मेरा एक बड़ा काम अटका हुआ हैं, अगर वो खुश हो गया तो वो काम में उस से निकलवा सकती हूँ. उसको तुम्हारे बारे में पता नहीं चलेगा, पक्का”

    मैं: “ठीक हैं, सिर्फ तुम्हारे लिए कर रही हूँ”

    अगले एपिसोड में पढ़िए क्या हमारी यह शरारत काम कर पाएगी या कोई मुसीबत मेरा इंतजार कर रही हैं।

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