Aakhiri Dagar, Purane Humsafar – Episode 1

This story is part of the Aakhiri Dagar, Purane Humsafar series

    इस नए सफर पर निकलने पहले हम दोनों पति पत्नी (प्रतिमा और अशोक ) ने एक शपथ ली थी की ग्रुप सेक्स के इवेंट के अलावा हम कभी भी एक दूसरे की परमिशन के बिना किसी दूसरे मर्द या औरत के साथ नहीं चुदवायेंगे।

    यह कहानी मेरी कथा श्रंखला की आखिरी कहानी हैं. इसे आप मेरी पहले की कहानी “नयी डगर, नए हमसफ़र” का दूसरा और आखिरी भाग भी बोल सकते हैं ।

    मेरी पिछली कुछ कहानियो आपने पढ़ा की कैसे मेरी ज़िन्दगी में एक बड़ा बदलाव आया और मेरे पति अशोक और मैं कुछ ग्रुप सेक्स के इवेंट में गए और क्या क्या मजेदार अनुभव लिए। मेरे पति इस बदलाव से खुश थे क्यों की उनको अलग अलग औरतो को चोदने का शौक था और अब मेरी इजाजत से वो यह सब काम मेरे सामने कर सकते थे।

    मेरे लिए ये सब थोड़ा अजीब था क्यों की पति पत्नी का रिश्ता एक भरोसे और समर्पण का होता हैं और अब हम किसी और के साथ यह सब काम कर रहे थे। मगर मैं भी अब बेशरम होकर इन सब चीजों में घुस चुकी थी ।

    बस एक यही दुआ थी की मेरे पुराने काण्ड खुलकर मेरे पति सामने ना आये, क्यों की मैं अभी भी मेरे पति की नजरो में एक शर्मीली छुईमुई थी। हम जो चाहे वही हो यह जरुरी नहीं। मेरा इतिहास एक बार फिर मुझे एक झलक दिखाने वाला था। फुर्सत के लम्हो में मेरे पति ने मुझसे इसी बारे में बात कर रहे थे।

    अशोक: “प्रतिमा, सेक्स के मजे हमने खूब ले लिए. अब तुम भी थोड़ा कम्फ़र्टेबल होने लगी हो। हमें अब किसी एक कपल के साथ भी पार्टनर बदल कर मजे करना चाहिए”

    मैं: “अब तुमने यह सोचा हैं तो इसका मतलब तुमने वो कपल पहले ही ढूंढ लिया होगा ! ”

    अशोक: “हां, मेरा क्रश हैं वो। मुझे बहुत पसंद हैं वो लड़की और एक बार उसको चोदने की बहुत इच्छा हैं। ”

    मैं: “कौन हैं वो लड़की ?”

    अशोक: “एक ही तो लड़की हैं, जिसकी पीछे से चाल देखकर हर कोई दीवाना हो जाये। चलते वक़्त उसके कूल्हे जो मटकते हैं। तुम समझ गयी ना मैं किसकी बात कर रहा हूँ?”

    मैं: “ओह नो, तुम कही उसकी बात तो नहीं कर रहे !”

    अशोक: “तुम समझ गयी !”

    मैं: “आई होप कि मैं गलत समझ रही हूँ। तुम्ही बताओ, मैं नहीं बताउंगी”

    आपने मेरी पिछली एक कहानी “होली के रंग, कर गए दंग” पढ़ी होगी, अगर नहीं तो पहले उसे जरूर पढ़े ताकि आपको नितिन और पूजा की कहानी पता चल सके। संक्षेप में कहु तो होली के दिन नितिन मेरे घर आया, और अकेली देख उसने मुझे कहाँ कहाँ नहीं छुआ और अंत में मेरा फायदा उठाने की कोशिश भी की।

    फिर नितिन ने मुझे एक कहानी सुनाई थी की मेरे पति अशोक और उसकी बीवी पूजा के बीच कोई चक्कर चालू हैं, और मुझे यह कहानी सुनाकर बहका फुसला दिया और फिर मुझे चोदने के भरपूर मजे लिए थे।

    हालांकि बाद में, मैं यह पता नहीं कर पायी कि क्या सच में पूजा और अशोक के बीच कभी कुछ हुआ था। अभी तक ये मेरे लिए राज ही था और अभी अशोक मुझसे कह रहा था कि वो पूजा को पहली बार चोदना चाहता हैं।
    अब मैं इसका क्या मतलब निकालू! उस दिन नितिन ने जो कुछ कहा था वो सब झूठ था या फिर शायद अशोक मुझसे अभी झूठ बोल रहा हैं !

    अब भले ही अशोक झूठ कह रहा हो या नहीं, मगर यदि हम नितिन और पूजा के साथ पार्टनर बदल कर चोदेंगे तो हो सकता हैं कि मेरे और नितिन के बीच होली के दिन जो हुआ उसका राज बाहर आ जाए।

    मैं यह होने नहीं देना चाहती थी। मैं किसी भी कीमत पर शर्मिंदा नहीं होना चाहती थी। उस होली के दिन मेरे और नितिन के बीच जो भी हुआ मेरी आँखों के सामने घूमने लगा था

    मैं: “देखो अशोक, मैंने हमारे पहले ग्रुप सेक्स के बाद ही कह दिया था कि मैं अब तुम्हारे किसी दोस्त साथ पार्टनर बदल नहीं चुदुँगी”

    अशोक: “मगर उसके बाद तो हम चिराग – चित्रा के साथ एक बार और ग्रुप सेक्स इवेंट में जा चुके हैं”

    मैं: “चित्रा मेरी अच्छी सहेली हैं तो उसके साथ एडजस्ट हो जाता हैं”

    अशोक: “पूजा भी तो तुम्हारी सहेली हैं!”

    मैं: “हां कभी थी, पर अब मिलना नहीं हो पाता। पहले वो हमारी पडोसी थी, मैं उसके साथ स्वीमिंग सिखने जाती थी तो हम अच्छी सहेलिया थी। पर जब से इस नए घर में आये हैं और मैंने स्वीमिंग जाना बंद किया हैं तब से पूजा से इतना मिलना नहीं हो पाता हैं”

    अशोक: “बहाना मत मारो, सहेली तो हमेशा सहेली रहेगी। प्लीज यार, मान जाओ, एक बार सिर्फ एक बार पूजा की उस मटकती गांड को देखना हैं ”

    मैं: “तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे तुमने उसकी गांड कभी देखी ही नहीं हो”

    मैं चाहती थी कि अगर अशोक और पूजा के बीच कुछ भी हैं तो अशोक खुलकर बता दे।

    अशोक: “तुम स्वीमिंग पूल की बात कर रही हो ना? पर उस वक़्त उसने स्वीमिंग के कपडे पहने थे, आधी गांड ही देख पाया था, मुझे पूरी नंगी गांड देखनी हैं। सच पूछो तो साड़ी में लिपटी उसकी ढकी हुयी गांड देखकर मैं दीवाना हो ही गया था पर फिर उस दिन तुम्हे स्वीमिंग पूल पर लेने आया था तब बिकिनी में पूजा की गांड देख मैं पूरा दीवाना हो गया”

    अशोक ने अभी भी यह स्वीकार नहीं किया कि उसके और पूजा के बीच कभी कुछ हुआ हो। वो जिस तरह अपनी तड़प दिखा रहा था उस से यही लग रहा था कि उसने कभी पूजा को नंगा देखा ही नहीं था।

    मैं: “पूजा की गांड तुम्हे इतनी पसंद आयी, तुम्हारी खुद की बीवी की (यानी मेरी) गांड की तारीफ़ तो कभी की नहीं !”

    अशोक: “अरे तुम्हारी गांड तो दुनिया में सबसे अच्छी हैं”

    मैं: “तो फिर पूजा की क्यू चाहिए?”

    अशोक: “यार, वो चलते हुए जिस तरह गांड मटकाती हैं, वैसा कोई नहीं कर सकता। बस एक बार चोदना हैं। ”

    मैं: “मेरी इजाजत हैं तुमको, तुम जाकर कर लो जो करना हैं, पर नितिन को बीच में मत लाओ। मुझे उसके साथ कुछ नहीं करना हैं”

    अशोक: “नितिन अपनी बीवी को मुझे क्यू चोदने देगा भला ! उसको इसके बदले कुछ मिलेगा तो ही तो वो मुझे अपनी बीवी देगा ना !”

    मैं: “तो तुम अपनी इच्छा पूरी करने के लिए मेरी बलि चढ़ाओगे?”

    अशोक: “इसमें बलि की क्या बात हैं! यह तो हम मजे करने के लिए कर रहे हैं। अब यह पहली बार तो नहीं हैं हमारे लिए! वैसे भी नितिन अच्छा दिखता हैं, तुम्हे भी मजा आएगा।”

    मैं: “पूजा के साथ तुम्हे जो करना हैं कर लेना पर नितिन को मत बताना”

    अशोक: “पहली बात तो पूजा को कैसे मनाये इस काम के लिए ! फिर अगर वो मान भी जाए तो कल को अगर नितिन को पता चल जाए तो? कोई गलत काम करो तो पूरी सुरक्षा के साथ करना चाहिए। नितिन की जानकारी में ही होना चाहिए ताकि पूजा भी सुरक्षित महसूस करे ”

    मैं: “तुम तो पूरी तैयारी कर के आये हो। तारीख भी तय कर ही दी होगी फिर तुमने!”

    अशोक: “अभी आग सिर्फ एक जगह लगी हैं, मेरे अंदर। अब मैंने वो आग तुम्हारे अंदर लगा दी हैं। अब तुम मेरी मदद करो और कैसे भी पूजा और नितिन को मना लो”

    मैं:: “यह क्या बकवास हैं! ऐसे कामो के लिए मैं अब लोगो को मनाती फिरू ?” नितिन तुम्हारा दोस्त हैं, तुम उसको मनाओ। मेरी कोई इज्जत नहीं क्या?”

    अशोक: “मैं आगे बढ़कर नितिन को कैसे बोलु कि मैं उसकी बीवी को चोदना चाहता हूँ। वो भड़क गया तो लड़ाई हो जाएगी। तुम लड़की हो, तुम बोलोगी तो शायद मान जाएगा और ना भी माना तो भड़केगा तो नहीं। इसमें इज्जत कम होने की क्या बात हैं ! यह तो हम दोनों मजे के लिए कर रहे हैं।”

    मैं::”एक्सक्यूज़ मी ! मुझे नितिन के साथ कोई मजे नहीं लेने हैं। तुम्हे पूजा के मजे लेने हैं, तुम्ही मनाओ। ”

    अशोक: ” ऐसे मत करो यार। मेरी दिली तमन्ना हैं, इसको पूरा करने में मेरी मदद नहीं करोगी? प्लीज .. प्लीज .. प्लीज .. मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ।”

    अब मैं उसको कैसे बताऊ कि मेरे लिए यह बाए हाथ का खेल हैं और नितिन तो वैसे ही तैयार बैठा हैं मुझे एक बार फिर चोदने के लिए। ऊपर से शायद नितिन को शक हैं कि उसकी बीवी पूजा का पहले ही अशोक के साथ चक्कर हैं।

    नितिन मुझे पहले ही चोद चूका हैं और यह बात खुलने के डर से मैंने अशोक को साफ़ इनकार कर दिया कि मैं इसमें उसकी कोई मदद नहीं कर सकती।

    एक सप्ताह निकल गया और अशोक लगातार मुझे विनती करता रहा कि मैं उसकी मदद कर दू। मैं भी इस रोज रोज की चापलूसी और विनती से परेशान हो चुकी थी।

    फिर मैंने सोचा कि नितिन को मनाने के लिए भी अशोक मुझे ही बोल रहा हैं। नितिन को मैं पहले ही बोल दूंगी की होली वाले दिन हम दोनों के बीच जो भी हुआ वो अशोक को ना बताये।

    फिर बची पूजा, उसके साथ मैंने बहुत सारा समय बिताया हैं। एक साथ कुछ महीनो स्वीमिंग की हैं। उसके साथ कई निजी बातें भी शेयर की हैं। शायद बातों बातों में उसको पूछ सकती हूँ।

    मैं: “ठीक हैं, मैं उनको मनाने की कोशिश करुँगी। पर वादा करो कि इसके बाद हम कभी तुम्हारे किसी दोस्त के साथ इस तरह पार्टनर नहीं बदलेंगे”

    अशोक: “अरे हाँ , मुझे भी बस एक बार पूजा की गांड मारनी हैं। फिर तुम जो बोलोगी वही होगा।”

    मैंने अशोक से कुछ समय की मोहलत मांगी ताकि मैं मौका देखकर नितिन से बात करुँगी। साथ ही पूजा के साथ फिर रेगुलर टच में रहना था।

    अगली बार जब मैं अपनी सास के घर गयी तो मैं पूजा से भी मिली। वो अभी भी स्वीमिंग के लिए जाती थी। इसी की वजह से वो एकदम फिट थी। पर कूल्हे मटकाती वो अभी भी चल रही थी और उसे देख मैं खुद शरमा रही थी कि इसने मेरे पति को ही नहीं, कितने और मर्दो को दीवाना बना रखा होगा।

    मैंने पूजा को बोल दिया कि अब मैं भी फिर से स्वीमिंग चालू करुँगी और हम साथ में करेंगे। हम दोनों अब रोज शाम को क्लब में स्वीमिंग पूल पर मिलते.

    नितिन रोज पूजा को लेने आता और मुझे चोरी चुपके जरूर देखता। मुझे बिकिनी में देखने के चक्कर में वो पूजा को लेने थोड़ा जल्दी ही आ जाता। झूठ बोलकर जो उसने मुझे चोदा था, उसकी गलती उसकी आँखों में थी।

    अशोक इस बीच रोज परेशान करता रहा कि मैं कब नितिन पूजा से बात करुँगी पर मैं उसको सही समय का इन्तेजार करने को बोलती रही। इस बीच पूजा से मेरी दोस्ती फिर गहरी होती रही और अब मैं उस से सेक्स लाइफ के बारे में भी मजाक मजाक में पूछ ही लेती थी ।

    फिर पता चला कि पूजा और नितिन की शादी की सालगिरह आने वाली हैं और वो दोनों हमेशा की तरह मनाने वाले हैं। मुझे लगा शायद यही मौका हैं जब हम दोनों कपल करीब आ सकते हैं।

    कहानी आगे जारी रहेगी..

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