अगर मुझसे मोहब्बत है-8 (Agar mujhse mohobbat hai-8)

This story is part of the अगर मुझसे मोहब्बत है series

    पति हूं फिर भी उसके लंड का जूस मैं पिला दूंगा।

    पराये मर्द से चुदने की खुशियाँ मैं दिला दूंगा।

    अगर तुम चोदने वाले को सब अपनी शरम देदो।

    अगर मुझसे मोहब्बत है मुझे सब अपने ग़म देदो।

    मैंने देखा कि सूरज के गालों पर रीता की लिपस्टिक के कुछ धब्बे लगे हुए थे। वह रीता ने अपनी मर्जी से लगाए थे या सूरज ने जब रीता से जबरदस्ती की तब लगे थे। यह कहना आसान नहीं था। यह सच जानने के लिए मेरे मन में एक आइडिया आया।

    मैंने गुस्सा होने का दिखावा करते हुए रीता से कहा, “यह तो बड़ी गलत बात है। तुम रुको। मैं जा कर सूरज को खींच कर अब सब के सामने घसीट कर उसकी पिटाई कर उसे जलील करता हूं। वह समझता क्या है अपने आपको? वह पैसे वाला है तो क्या वह हमारी पत्नी को छेड़ेगा, और हम चुप रहेंगे?”

    यह कह कर मैं जैसे ही आगे बढ़ने लगा तो मेरी पत्नी रीता ने मेरा हाथ थाम कर मुझे रोका और कुछ खिसियानी सी शकल बना कर कुछ झुंझलाती हुई बोल पड़ी, “ऐसा कुछ भी मत करना। यह सही है कि उसने मेरे साथ थोड़ी सी जबरदस्ती की, पर वह हमेशा मेरे साथ बड़ी ही इज्जत और अदब के साथ पेश आया।

    उसने ज़रा भी बेअदबी या अपमानित भाषा में मुझसे बात नहीं की। मैं भी अगर चाहती तो उसे रोक सकती थी, झगड़ सकती थी, चिल्ला सकती थी। पर मैंने भी ऐसा कुछ नहीं किया। तुमने ही तो कहा था कि मुझे सूरज से कुछ नरमी से पेश आना चाहिए? मुझे अगर सूरज छेड़े तो ज्यादा सीरियसली नहीं लेना चाहिए? तो मैंने सूरज को कुछ हद तक आगे बढ़ने दिया।

    मेरी गलती है कि मैंने सूरज को रोका नहीं। उसमें सिर्फ सूरज पूरी तरह जिम्मेवार है यह कहना ठीक नहीं होगा। आई ऍम सॉरी राज। मैं जानती हूं मेरे से गलती हो गयी।”

    मेरी छाती के ऊपर से एक बहुत बड़ा और भारी बोझ जैसे हट गया, जब मैंने मेरी बीवी को यह सब कहते हुए सूना। बाप रे! जो काम करने के लिए बरसों से मैं तरस रहा था, वह काम किरण और सूरज ने कुछ हफ़्तों में ही कर दिया। मैं सोच भी नहीं सकता था कि कभी मेरी बीवी किसी गैर मर्द को उसका बदन छूने भी देगी।

    इधर तो सूरज ने शायद मेरी बीवी के मस्त स्तनों को नंगा कर मसल भी लिए थे, और शायद मेरी बीवी के होंठों को चूम भी लिया था। मैंने मान लिया था कि जो रीता कह रही थी कि सूरज नहीं कर पाया था, वह शायद सूरज ने कर ही लिया था। आखिर बीवियों को इतना थोड़ा सा झूठ बोलने का तो हक़ है।

    मैंने मेरी बीवी को अपनी बाहों में भर लिया। मेरा ऐसा बरताव देख कर रीता कुछ सकते में आ गयी। वह आश्चर्य से जब मुझे देखने लगी तब मैंने कहा, “रीता, तूने कुछ भी गलत नहीं किया। तूने जो किया या करने दिया वह सब सही किया।

    मैं कह नहीं सकता कि आज मैं कितना खुश हूं। आज तूने यह सब कह कर मुझे वह तोहफा दिया है जो बेशकीमती है। तूने जो भी किया उससे मैं बहुत खुश हूं। आज तू जो मांगे वह मैं तुझे देने के लिए तैयार हूं।”

    रीता भौंचक्की सी बड़े ही आश्चर्य से मुझे देखती रही। मेरी वह प्रतिक्रिया उसकी समझ से बाहर थी। पर वह उतना समझ गयी कि मैं रीता के सूरज के साथ लिपटने और चुम्मा-चाटी से नाराज नहीं हुआ था बल्कि खुश था। इसके कारण शायद रीता की छाती पर से भी खुद के दोषी होने का एक बहुत बड़ा बोझ कम हो गया था।

    मैंने मेरी पत्नी से कहा, “देखो अगर मुझे पूछो तो जो हुआ अच्छा हुआ। तुमने सूरज को नहीं रोका यह बहुत अच्छा किया, क्योंकि रोकने से भी शायद वह ना रुकता, या फिर बेकार में तुम चिल्लाती और बिना वजह के ड्रामा हो जाता।

    हमारे बीच में मनमुटाव भी हो सकता था। इन पार्टियों में छेड़-छाड़ चुम्मा-चाटी होती रहती है। आखिर पार्टियां ऐसी छेड़-छाड़ के लिए ही तो होती हैं। वैसे एक बात बताऊँ? तुम्हारी खूबसूरती आज पूरी निखर रही है। बेचारा सूरज तुम्हारे पीछे पागल है। वह तुमसे लिपट लिया,‌ और थोड़ी सी छुआछूत हो गयी तो क्या हुआ? उसकी तुमसे मिलने की आग को तुमने शांत कर दिया, और तो उसमें इतना परेशान होने की कोई बात नहीं।

    अभी तो पार्टी शुरू हुई है। तुम सूरज के साथ बिंदास घूमो, डांस करो, लोगों से मिलो, फिरो और खूब हर तरह से एन्जॉय करो। तुम्हें अगर सूरज छेड़ रहा है तो मैं भी तो उसकी बीवी को छेड़ रहा हूं। तुम बिना कोई रोक-टोक के बिल्कुल रिलैक्स हो कर उसके साथ एन्जॉय करो।”

    हर स्त्री को अपनी सुंदरता का बखान अच्छा लगता है। रीता मेरी बात सुन कर मुस्कुराई। मेरी बीवी ने मेरा हाथ ले कर चूमा। उसके दिमाग में जो खुद के दोषी होने का भाव था उसे मैंने शांत कर दिया था। उसके बाद पार्टी में रीता काफी खुश और तनाव मुक्त दिख रही थी। सूरज रीता को ले कर उसे क्लब के म्यूज़ियम और लाइब्रेरी में ले गया। वहां काफी किताबें और देखने वाली चीज़ें थीं।

    सूरज और रीता कुछ समय एक साथ ही इधर-उधर घूमते रहे। मैंने महसूस किया की मेरे कहने के बाद रीता भी सूरज की हरकतों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रही थी, या उन्हें कुछ हंस कर स्वीकार कर रही थी। मैंने एक बार सूरज को रीता के पीछे हाथ ले जा कर रीता के कूल्हों को जोर से दबाते और मसलते हुए देख लिया था। उस समय वह लोग हमसे ज्यादा दूर नहीं थे। मुझे ऐसा लगा जैसे सूरज जान-बूझ कर मुझे वह दिखाने की कोशिश कर रहा था। मुझे उससे कोई दिक्क्त नहीं थी।

    जब सूरज ने रीता के कूल्हों को जोर से दबाया और शायद कूल्हे की दरार में उंगलियां घुसेड़ने की कोशिश की। तब रीता ने मुस्कुराते हुए सूरज की और देखा और फिर दोनों कुछ बातें करने में लग गए।

    कुछ देर बाद जब रीता और सूरज वापस आये, तो सूरज ने मुझे और किरण को पकड़ कर एक साथ बिठाया। जब मैं कुछ हैरानी से रीता की और देखने लगा, तो रीता ने शरारत भरी मुस्कान देते हुए कहा, “इतने शर्माते क्यों हो? मेरे सामने तो बड़ी डींगे मार रहे थे कि तुम किरण को मिलते ही यह कर लोगे वह कर लोगे। अब जब किरण साथ है तो भीगी बिल्ली क्यों बने बैठे हो? मैंने ही सूरज से कहा कि किरण को तुम्हारे साथ बैठाये।”

    जब भी हम कहीं बैठते तो किरण मुझ से इस तरह बार-बार खिसक कर करीब आ रही थी, जैसे वह मुझे कोई सन्देश देना चाह रही हो। मैं भी यह अच्छी तरह समझ गया था। मैं समझ गया था कि किरण और सूरज को मेरे और रीता को उन दोनों के करीब आने से कोई एतराज नहीं था। बल्कि सूरज रीता के करीब आना चाहता था और उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था अगर मैं उसकी बीवी किरण के करीब आऊं।

    मैंने सुना था कि शायद रईस लोगों के सर्किल में कई बार ऐसा होता है कि एक की पत्नी दूसरे के पति के साथ एकाद रात बिता ले तो चलता है। अगर दोनों कपल्स के बीच में समझौता हो तो उसे ज्यादा आपत्तिजनक नहीं माना जाता। जब उस शाम तेज जोशीला संगीत बजना शुरू हुआ, तब सूरज ने रीता का हाथ थाम कर उसे डांस के लिए ले जाना चाहा।

    रीता ने मेरी और देखा और जब मैं हंस दिया तो रीता सूरज के साथ डांस फ्लोर पर चली गयी, और अपनी कमर पर सूरज का हाथ रखवा कर जैसे ही उन्होंने डांस करना शुरू किया, तो रीता के नृत्य की करारी अदा और ठुमके देख कर सूरज एक-दम थम सा गया।

    वह बड़े ही अचम्भे से रीता को नाचते हुए देखता ही रहा। रीता तो नृत्य में कमाल की तो थी ही। क्लब में काफी लोग थे। सब उनको नाचते हुए देखते ही रहे। मैं सूरज और रीता को डांस करते हुए देख रहा था। पर अचानक एक पल में देखते ही देखते वह कहां खो गए पता नहीं लगा।

    मैं उनको ढूंढता ही रहा। किरण ने यह देख लिया था। किरण मुझे पकड़ कर दूसरे कोने में ले गयी और मुझसे लिपट कर बोली, “राज, तुम बड़े ही हॉट हो यार! क्या तुम अपनी बीवी को कुछ देर के लिए भी किसी और मर्द के साथ छोड़ नहीं सकते? रीता और सूरज को छोड़ो, और मुझे देखो। मैं कैसी लगती हूं तुमको? क्या मैं तुम्हें हॉट नहीं लगती?”

    मुझे अपनी गलती समझ आयी। एक तरफ तो मैं डींग मारता था बीवी को आज़ाद छोड़ने की। पर दूसरी तरफ उसे सूरज के साथ कहीं नज़रों से ओझल होते हुए देख परेशान भी हो रहा था। हम हिंदुस्तानी मर्द कितना भी अपनी बीवी को आज़ादी दें, हमारे जहन में कभी ना कभी कुछ ना कुछ तो मरदाना भाव आ ही जाता है।

    हम अपनी पत्नी को किसी गैर मर्द की बांहों में देख कर या ऐसा होने की संभावना से ही कुछ हद तक कतराते तो जरूर हैं।

    मैंने किरण को अपनी बांहों में लेते हुए कहा, “किरण तुम भी कोई कम हॉट नहीं हो। पर क्या तुम्हें ऐसा नहीं लग रहा कि हम कुछ ज्यादा ही तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं?”

    किरण ने मेरा हाथ पकड़ कर ब्लाउज पर अपनी छाती पर रखते हुए कहा, “मेरी शादी को तीन साल हो गए हैं? क्या यह कम है? तुम्हारी शादी को भी तो चार साल होने को आये हैं? यह क्या जल्दी है?” किरण को यह करते हुए देख मुझे जैसे बिजली के करंट जैसा झटका लगा। मैंने सोचा ही नहीं था कि किरण इस तरह इतनी फुर्ती से आगे बढ़ेगी।

    मैंने तय किया कि जब ओखल में सिर रखा है तो मुसल से क्या डरना? मैंने किरण के ब्लाउज को ऊपर खींच, उसकी ब्रा को खिसका कर उसके एक स्तन को मेरी हथेली में ले कर उसकी निप्पल के साथ खेलने लगा।

    मुझे मानना पड़ेगा, कि किरण के स्तन बहुत ज्यादा मुलायम और नरम थे। वह एक-दम फिसलन से चिकने पर फिर भी सख्त थे। किरण की एक निप्पल को अपनी उंगलियों में ले कर मैं जब उसे मसलने और पिचकाने लगा तो किरण के मुंह से एक सिसकारी सी निकल गयी।

    मैंने भी मौक़ा देख कर डांस करते हुए किरण का एक हाथ पकड़ कर मेरी जांघों के बीच में रख दिया। किरण भी कोई कम नहीं थी। किरण ने भी टटोल कर मेरे लंड को पकड़ लिया और अपने हाथ में पकड़ कर बड़े ही आश्चर्य को दिखाते हुए बोली, “यार तुम्हारा भी कोई कम नहीं है। अच्छा खासा बड़ा है और मेरे साथ डांस करते हुए सख्त भी हो गया है।”

    किरण ने जब मेरा लंड पतलून के ऊपर से पकड़ कर हिलाया तो मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी। इतनी अल्लड़ बिंदास औरत मैंने पहली ही बार देखी थी। पर किरण मेरा लंड पकड़ कर कुछ देर हिलाती रही।

    मुझे और कुछ ज्यादा करने का मौक़ा नहीं मिला, क्यूंकि सूरज और रीता कुछ दूरी पर दिखाई दिए। मुझे यह समझने में देर नहीं लगी कि जरूर सूरज ने फिर से रीता से कुछ छेड़खानी जरूर की थी। क्यूंकि रीता के गाल लाल हो रहे थे और मुझे देख उसकी आंखे शर्म से झुकी हुई थी। मुझे यह ठीक से पता नहीं की मेरी पत्नी रीता ने या किरण के पति सूरज ने मेरी और किरण की हरकतों को देखा था या नहीं।

    आगे की कहानी अगले पार्ट में।

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