पिछली सेक्स कहानी में आपने पढ़ा कि सलीम से दीदी की चुदाई के बाद हम घर आए। लेकिन मम्मी ने दरवाज़ा खोलने में बहुत देर लगा दी। अब आगे-
मम्मी को देख कर दीदी ऊंचे स्वर में बोली: मम्मी आप क्या कर रही थी? इतना टाइम क्यूं लगा दिया गेट खोलने में?
मम्मी हड़बड़ाते हुए बोली: मैं.. मैं अभी ऑफिस से आके कपड़े बदल रही थी। मंजु मैंने तुम्हे बोला था आने से पहले फोन कर लेना।
मम्मी को देख कर दीदी के फेस पर एक कातिलाना मुस्कान आ गई थी। दीदी को देख कर लग रहा था, जैसे वो मम्मी के प्रति कुछ सोच रही हो। मुझे भी लग रहा था मम्मी की हालत को देख कर जैसे वो हमसे कुछ छुपा रही थी। फिर मम्मी हमारे आगे-आगे चलने लगी, जब हम आंगन में पहुंचे तभी मम्मी का पर्दाफाश हो गया। सामने देख कर मेरी और दीदी की आंखे खुली रह गई।
मम्मी के कमरे से एक आदमी बाहर आ रहा था अपनी शर्ट के बटन को लगते हुए। वो देखने में 45 उमर के आस-पास लग रहा था। वो ज़्यादा गोरा तो नहीं था, और ना ही ज़्यादा तगड़ा था, सलीम के जैसा। फिर मम्मी उस आदमी को घर के आंगन में बैठने को बोलती हैं। फिर उनका परिचय हमसे कराती हैं।
मम्मी बोली: यह ठाकुर जी है, मेरे ही ऑफिस के साथी हैं। आप लोग इन्हें नमस्ते करो।
फिर दीदी ने उन्हें नमस्ते किया, और मैं उनका पैर छुआ लिया।
मम्मी बोली: बच्चों ठाकुर जी तुम्हारे पापा के अच्छे दोस्त थे। काफी समय से ये मेरे से जिद कर रहे थे, अपने घर की चाय पीने और आप लोगों से मिलने के लिए, तो आज मैंने इन्हें घर ही बुला लिया।
ठाकुर जी: बच्चों आज तो मैं तुम्हारी मम्मी के हाथ की चाय पीकर खुश ही हो गया। ठीक है, अभी मैं चलता हूं। अब आगे मैं आप सभी से मिलता रहूंगा।
मैंने देखा जब ठाकुर जी ने जाने का नाम लिया तो मम्मी का चेहरा एक-दम से उदास हो गया था। और वो उन्हें कुछ देर और रुकने के लिए बोल रही थी। उस समय मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, कि यह चल क्या रहा था मेरे घर में। मम्मी एक मर्द को अपने घर में रोक रही थी। जिसे हमने कभी देखा भी नहीं था। फिर उनके जाने के बाद मम्मी बॉथरूम में अपने आप को सवारने चली गई थी। मम्मी जब नहा के बॉथरूम से बाहर आई, तो वो एक गाना गाते हुए आ रही थी, “सजना है मुझे सजना के लिए।”
मम्मी का यह रूप मुझे अटपटा अजीब सा लगा, जो मैंने पहले कभी नहीं देखा था। फिर मम्मी ने दीदी को आवाज़ लगाई खाना बनाने के लिए। दीदी ने जवाब में बोल दिया-
दीदी: मैं काफी थकी हुई हूं मम्मी, आप ही बना लो।
थोड़ी देर बाद जब मैं खाने के लिए दीदी को बुलाने उनके पास गया, तो देखा वो अपने बेड पर बस पैंटी और समीज में लेटी हुई बेफिक्र सो रही थी। मैं उनके नजदीक गया, और दीदी को हिला कर जगाने लगा। पर दीदी को कोई असर ही नहीं पड़ रहा था। दीदी ने जब नींद में करवट ली, तो मैंने दिखा उनकी पैंटी का कपड़ा चूत से साइड हो गया था, जिससे उनकी चूत मुझे बड़े ही आराम से दिख रही थी।
उस दिन पहली बर मैंने अपनी मंजू दीदी की चूत इतने नजदीक से देखी थी। सलीम की चुदाई से दीदी की चूत काफी सूजी हुई थी, और उसके होंठ भी खुले हुए थे। चूत की खुली पंखड़ियों से कुछ सफेद-सफेद पानी रिस रहा था। मेरा मन कर रहा था मैं दीदी की चूत को और नजदीक से देखूं, और उसे एक बार छू कर देखूं।
मैंने दीदी को आवाज़ दी पर वो कुछ नहीं बोली। फिर मेरे दिमाग ने फैसला लिया कि एक बार दीदी की चूत को छू लिया जाए। फिर मैं दीदी के पास बैठ गया, और अपने हाथ को धीरे-धीरे उनकी चूत की और ले गया। अपनी उंगलियों को जब चूत के ऊपरी हिस्से पर टच किया, तो मुझे दीदी की कंटीली झाटे चुभ गई, जो शायद दीदी सुबह ही साफ की होगी।
फिर मैंने अपनी उंगलियों को चूत की फांकों में जब फेरा, मुझे एक अलग ही एहसास मिला मुलायम-मुलायम गुलगुला। दीदी की चूत बड़ी ही मुलायम थी। फिर मैं अपने फेस को चूत के नज़दीक लेकर गया। चूत की गंध जब मेरे नाक को मिली, मुझे उसका एक अलग ही अहसास मिला था, जिसको मैं आज याद कर के दीदी की कहानी आप लोगों को बता रहा हूं।
मेरी उंगलियों अपने आप फिसलते हुए चूत की फांकों में घुसी जा रही थी। मुझे डर भी लग रहा था कहीं दीदी जाग ना जाए। दीदी की चूत का रेड दाना छूते ही मेरा लंड पूरा टाइट खड़ा हो गया था। मेरा मन दीदी की चूत को एक बार चाटने को करने लगा। तभी मम्मी ने नीचे से आवाज़ लगा दी। उनके डर से में दीदी से अलग हो गया, और कमरे से बाहर जाके दीदी को एक तेज आवाज़ देकर उन्हें नीचे आने का बोला।
तब मेरी दीदी ने बोला: ठीक है आती हूं।
थोड़ी देर में दीदी एक शॉट्स निक्कर पहन कर नीचे आ रही थी लंगड़ाते हुए। मम्मी दीदी की चाल को देख कर बोली: यह तेरे पैरों में क्या हुआ, जो तुम ऐसे चल रही हो बेटी?
दीदी मम्मी की बात से एक-दम घबराहट में आ जाती है और सोचने लगती है। वो कुछ बोली उसे पहले ही मैं बोला: मम्मी वो दीदी का पैर मुड़ गया था रास्ते में।
दीदी मेरी बात सुन कर मुस्काते हुए बोली: हां मम्मी, अमित मेरे साथ नहीं होता तो आज घर तक नहीं आ पाती।
मम्मी: बेटी ध्यान रखना चाहिए ना तुम्हें अपना। आओ अब खाना खा लो।
मैंने नोटिस किया की आज मम्मी बड़े ही प्यार से हमसे बात कर रही थी। उनके चेहरे पर एक अलग ही खुशी झलक रही थीं जो मैंने पहले नहीं देखी थी।
फिर खाना खाते समय दीदी बोली: मम्मी ठाकुर अंकल जी पापा के अच्छे दोस्त थे, तो पहले घर क्यों नहीं आते थे?
मम्मी बोली: बेटी तुम्हारे पापा को दोस्तों को घर लाना पसंद नहीं था।
दीदी: मम्मी और बताओ ना अंकल के बारे में। वो कैसे दोस्त थे पापा के (दीदी के साथ मैं भी बोल दिया हां मम्मी बताओ)?
मम्मी बोली: बच्चों ठाकुर जी की पोस्टिंग कुछ 1 महीने पहले ही मेरे ऑफिस में हुई है। जब मेरी उनसे मुलाकात हुई तब उन्होंने मुझे बताया कि वो तुम्हारे पापा के अच्छे दोस्त थे। जब ठाकुर जी ने तुम्हारे पापा की तारीफ की, तब मुझे भी यकीन हुआ। तुम्हारे पापा अकसर मेरी तारीफ ठाकुर जी से किया करते थे।
मैंने देखा मम्मी जब अंकल की बात कर रही थी, उनका चेहरा खुशी से खिल रहा था, और उनकी बात खुशी से बता रही थी।
दीदी बोली: मम्मी फिर तो अंकल जी को बहुत पहले ही मिलना चाहिए था।
मम्मी: हां बेटी पर ठाकुर जी की तकदीर में अब मेरे साथ मिलना लिखा था। वो भी जब तुम्हारे पापा इस दुनिया में नहीं रहे तब। पर बेटी जो होता है अच्छे के लिए ही होता है। ठाकुर जी दिल से काफी अच्छे इंसान हैं, उनसे मिल कर मुझे काफी अच्छा लगा। ठाकुर जी ऑफिस में मेरी मदद भी करते हैं, उनको मेरी मदद करने से काफी खुशी मिलती है।
दीदी बोली: मम्मी अंकल जी को बोलो ना अपने परिवार के साथ आए हमारे घर कभी।
मैंने देखा मम्मी उनके परिवार के नाम से कुछ चिढ़ सी गई थी, और अपना मुंह फुलाते हुएं मम्मी बोली: बेटी ठाकुर जी के परिवार वाले कानपुर रहते हैं। ठाकुर जी बस यहां जॉब के लिए अकेले रहते हैं।
दीदी बोली: मम्मी फिर तो अंकल जी को काफी अकेलापन लगता होगा?
मम्मी: हां बेटी, ठाकुर जी जब यहां आए थे, उन्हें काफी अकेलापन लगता था। पर जब उनको मेरे बारे में पता लगा, तो ठाकुर जी बोले चलो अब कोई तो है यह अपना जानने वाला। बच्चों अब खाना हो गया? मुझे भी जल्दी से घर का काम करके सोना है। आज काफी थक गई हूं।
दीदी खाने के बाद बॉथरूम चली जाती है। मम्मी ने मुझे बोला कि सोने से पहले घर का कचरा बाहर फेंक देना। मैं जब घर की डस्टबिन को बाहर पलटने लगा, तब डस्टबिन में से 3 इस्तमाल किए हुऐ कंडोम गिरते है। जिसे देख कर मुझे हैरानी होती हैं। फिर मैं देखा मेरे आस-पास कोई नहीं था तो मैंने 2 कंडोम उठा कर अपनी जेब में रख लिया था। घर आकर मैं जल्दी से डस्टबिन को रख कर अपने कमरे में चला गया। फिर दीदी जब कमरे में सोने आई तो सबसे पहले मुझे वो थैंक्स बोली। मैं पूछा क्यूं तो दीदी बोली: अमित तुमने मम्मी के सामने मेरे लिए झूठ बोला था ना उसके लिए।
फिर दीदी मेरे सामने ही अपना शॉट्स निकर उतार कर पैंटी में खड़ी हो गई थी।
दीदी मुझे घूरते हुए बोली: क्या देख रहा है अमित?
मैं बोला: कुछ नहीं दीदी। देख रहा हूं आप पहले से बदल गई हो।
दीदी: अच्छा क्या बदल गई, बता तो जरा मुझे भी?
मैं: दीदी अगर आपको मैं कुछ दिखाऊं तो गुस्सा तो नहीं करोगी?
दीदी बोली: नहीं तुम मेरे सब से अच्छे भाई हो दिखाओ।
दोस्तों इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी। कहानी की फीडबैक deppsingh471@gmail.com पर दें।