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पड़ोसी लड़कों की हवस का शिकार हुई छोटी बहन-3 (Padosi ladkon ki hawas ka shikar hui chhoti behan-3)

पिछला भाग पढ़े:- पड़ोसी लड़कों की हवस का शिकार हुई छोटी बहन-2

जैसा कि आपने पिछली सेक्स कहानी में पढ़ लिया होगा कि अभी तक अमर और समर सपना की गदराई जवानी पूरी तरह से नहीं देख पाए थे, क्यूंकि वो केवल सपना के लोअर को ही नीचे किए थे। पर सपना को टी-शर्ट को बिना निकाले ही चूचियों को पिए थे, वो भी अंधेरे में ही। पर वो दोनों सपना की जवानी को अंधेरे में ही देख पागल हो रहे थे, और समर ने सपना को अपने ऊपर लिटा कर ठुकाई करना शुरू ही किया था कि विनय ने लाईट जला दिया। आगे की कहानी सुनिए-

सपना ने लाईट जलते ही पाया कि उसकी कमसिन जवानी के मजे समर लूट रहा था। वो अपना लंड सपना की चूत में सटासट सटासट पेले जा रहा था, जिस वजह से सपना की चूत में भयंकर जलन पैदा हो रही थी। उधर दूसरी तरफ अमर अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया था। ये देख समर ने अमर को मना किया कि, “अभी रुक जा भाई, अभी ये मेरी है।”

इतना कहते हुए समर ने पोजीशन चेंज करने को सोचा तो उसकी पकड़ ढीली हो गयी, और सपना समर के चंगुल से निकल कर भागी। जब तक समर कुछ बोलता, तब तक वो रूम से बाहर निकल गयी, और छत पर बने दूसरे कमरे के पास पहुंच गयी। और जब तक वो रूम का दरवाजा खोल कर अन्दर घुसती, तब तक उसके पीछे अमर पहुंच गया। पर छत पर अंधेरा होने की वजह से वो जान नहीं पायी कि उसके साथ कोई और भी उस कमरे में घुस गया था, और वो तुरन्त अन्दर से कमरे को बन्द कर ली।

वो दर्द के मारे तड़प रही थी, क्यूंकि सच में समर का लंड तगड़ा था। वो दर्द के कारण सी… सी… की आवाज निकाल रही थी, और हम सब बाहर से उसे दरवाजा खोलने को कह रहे थे। तब तक पीछे से अमर ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा तो वो डर गयी।

अमर: डरो मत यार, मैं अमर, तुम एक-दम शान्त हो जाओ। मैं इन लोगों के जैसा नहीं हूं (और फिर अमर ने रूम का लाईट जला दिया)।

सपना: तुम भी इन्ही में से हो।

अमर: नहीं-नहीं डरो मत, मैं तुम्हे कुछ नहीं करूंगा (ऐसा कहते हुए सपना के कंधे पर हाथ फेरने लगा और उसका डर खत्म करने लगा)।

सपना: बहुत जलन हो रहा चूत में, दर्द हो रहा है बहुत।

अमर: क्या करूं यार मैं? कोई दवा भी तो नहीं है मेरे पास।

सपना: जलन बहुत ज्यादा हो रही है।

अमर: वैसलीन नहीं रखी हो इस कमरे में?

ये कह ही रहा था तब तक अमर की नज़र आलमारी के पास रखे बोतल के पास गयी, जिसमें सरसो का तेल रखा हुआ था।

अमर: अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारे चूत की जलन ठीक कर सकता हूं, और दर्द भी खत्म हो जाएगा।

सपना: वो कैसे?

अमर: अगर कहो तो करके दिखाऊं?

सपना को जलन बर्दाश्त नहीं हो रहा था, तो वो हां बोलने के अलावा कुछ बोल ही नहीं पाई। और जैसे ही सपना ने हां बोला, अमर ने सपना को लेटने को कहा और लपक कर सपना के पैर के पास पहुंचा। सपना अभी अभी लेटी ही थी कि अमर सपना की लैगिंग्स को नीचे करने लगा।

सपना: ये क्या कर रहे हो?

अमर: अभी देखो मेरा जादू, मैं कैसे सब कुछ ठीक करता हूं

सपना: क्या करोगे तुम?

अमर: देखो यार आपकी चूत में जलन हो रही है। उसे ठीक करने के लिए मुझे तुम्हारी चूत में ये सरसो का तेल लगाना पड़ेगा।

सपना‌ (शर्माते हुए): नहीं फिर आप मुझे नंगी देख लेंगे, और कहीं आपका भी मन करने लगा और आप भी मुझे चोदने लगे तो?

अमर: अरे नहीं, तुम्हारा दर्द कम करना है मुझे।

सपना: ठीक है, जल्दी लगा दो। बहुत जलन हो रहा है।

इतना सुनते ही अमर ने अपने हाथों में सरसो का तेल गिराया और वो सपना की लैगी को नीचे किया, और पूरा तेल सपना की चूत में लगाने लगा। चूत में तेल लगाते-लगाते अमर अपनी एक अंगुली सपना की चूत में कभी-कभी डालने लगा, तो सपना उत्तेजित होने लगी।

ये देख अमर सपना से बोला: यार ये दर्द और जल्दी खत्म हो जाएगा।

सपना: वो कैसे?

अमर: कुछ नहीं बस अपने जीभ से चाट-चाट कर चूत को अच्छी तरह से गीला करूंगा तो जलन खत्म हो जाएगा।

ये सब कहते-कहते अमर ने बिना देर किए सपना की चूत पर अपने जीभ को रख दिया और चाटना शुरू कर दिया। अमर अब अपनी थूक को इकट्ठा करके सपना की चूत में थूकता और फिर चूत को चाटता। ऐसा करते-करते सपना अंगड़ाईयां लेने लगी। वो पागल सी हो रही थी।

अमर ने मौका देख धीरे-धीरे सपना की चूचियों की तरफ बढ़ा, और धीरे से सपना के टी-शर्ट के ऊपर से ही निप्पल पर उंगलियां फेरने लगा और बोलने लगा कि, “बाबू आपकी चूचियां कमाल की हैं। मैंने इतनी मखमली मलाईदार चूची आज तक नहीं देखी।”

सपना: सच में क्या?

अमर: हां बाबू, अगर इजाजत हो तो मैं इस पर एक चुम्बन लेना चाहता हूं।

और सपना के कुछ बोलने से पहले ही, वो सपना की चूचियों पर हाथ फेरते हुए, सपना की टी-शर्ट को ऊपर किया और निप्पल पर अपने जीभ लगा दिया। सपना की तरफ से कोई प्रतिक्रिया ना देख तुरन्त चूचियों को मुंह में भर लिया, और सपना की चूचियों को पीने लगा।

अमर जो कुछ कर रहा था ये सब हम तीनों देख कर हैरान थे कि वो इतने आराम से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा था। अमर अब चूत में उंगलियां करने लगा और ये सब सपना देख भी रही थी। वो मना करना चाहती थी, पर अमर ने सपना को पूरा गर्म कर दिया था। सपना एक-दम मदहोश हो चुकी थी।

अमर मौका का फायदा उठाना चाहता था और इसलिए वो अब सपना के बगल लेट गया, और सपना की चूचियों से खेलने लगा। धीरे-धीरे अमर ने सपना को अपने लंड का भी एहसास कराना सही समझा। इसलिए अमर अब सपना से चिपक कर लेट गया जिससे उसका गर्म, मोटा, तगड़ा 7.5 इंच लम्बा लंड सपना की जांघों पर जैसे ही स्पर्श किया, सपना के शरीर में जैसे करंट दौड़ गया हो। और वो खुद में सिमट गयी।

पर अमर सपना को प्यार से बोला: बाबू क्या हुआ?

और सपना के बालों में हाथ फेरने लगा। फिर सपना की चूचियों को दबाने लगा और पीछे से अपने लंड को सपना की जांघो के बीच ढकेल दिया। अब अमर का लंड सपना की दोनों मोटी-मोटी मांसल जांघों के बीच अटक चुका था। पर उसका लंड सपना की गांड के दरारों के बीच होते हुए अपनी गर्मी का एहसास सपना की चूत को दिला रहा था।

कुछ ही क्षण बाद अमर ने हलचल शुरू की‌ और सपना की दोनो चूचियों को अपने हाथों मे पकड़ कर अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा। तो अमर का लंड सपना की चूत पर रगड़ खाने लगा, जिससे सपना पागल हो रही थी। उसकी उत्तेजना इतनी ज्यादा हो गयी थी ये उसके होंठ देख कर पता चल रहे था।‌ वो अपने दांतो से अपने होंठो को काटना शुरू कर दी थी।

ये सब देख अमर अपनी हलचल को बढ़ा देता है, और सपना के पीठ पर एक किस्स करता है और पूछता है, “क्या हुआ बाबू? मजा आ रहा है?”

सपना: हां, बहुत मजा आ रहा है।

अमर: पर मुझे मजा नहीं आ रहा।

सपना: क्यूं बाबू? क्या हुआ? मैंने कोई गलती की क्या?

अमर के लंड ने सपना की चूत का दरवाजा खोज लिया था और तभी अमर बोला: बाबू मेरा लंड तड़प रहा है तुम्हारी चूत में जाने के लिए। पर मैं और सब की तरह नहीं हूं। जब तक आप नहीं कहोगी मैं चूत में नहीं डालूंगा।

सपना: बाबू तुम तो बोले थे कि चुदाई नहीं करोगे।

अमर: बाबू तुम्हारे बड़े-बड़े चूतड़, रसीली चूत, और पपीते जैसी चूचियां देख कर कंट्रोल नहीं कर पा रहा हूं। प्लीज बाबू इजाजत दे दो ना।

और इतना कहते ही अपनी बात बिना खत्म किए, अमर ने अपने लंड को सपना की चूत में हल्के धक्के के साथ अन्दर डाल दिया।

वो बोला: प्लीज इजाजत देदो ना आहहहहह!

सपना: प्लीज बाबू रहने दो ना उइइईईईईईईईईई मां अइइइईईईईईईईई क्या कर रहे हो बाबू?

अमर ने लंड को चूत में हल्का और दबाया और बोला: इजाजत दो ना प्लीज वाहहहहहहहहह!

सपना अपने आप को अमर के चंगुल से बाहर नहीं निकाल पा रही थी, क्यूंकि अमर ने उसे अपनी मिठास भरी बातों और मन्द-मन्द लंड को चूत में अन्दर डाल कर खुश कर दिया था।

फिर देखते ही देखते सपना ने इजाजत दे दी: प्लीज बाबू आराम-आराम से डालना। उइईईईईईईईईई मां तुम्हारा लंड बहुत बड़ा और मोटा है। बाबू मैं कैसे ले पाऊंगी? प्लीज बाबू आराम से करना।

अमर: अरे बाबू देखना मैं बहुत आराम से करूंगा। और हां मेरा लंड बड़ा है और मोटा भी, पर अब छोटा तो नहीं कर सकता ना ही पतला। पर मैं पूरा नहीं डालूंगा। आधा ही डालूंगा, और अगर दर्द हो तो बता देना बाबू। देखना बाबू तुम आराम से पूरा ले लोगी। बस थोड़ा सा दर्द सह लेना प्लीज बाबू, मेरी सोना उहहहहहहह बाबू, आपकी चूत बहुत टाईट है।

सपना: ठीक है बाबू, आराम-आराम से करो।

अमर जैसे ही इजाजत पाया वो तुरन्त खुश हो गया, और सपना के मुंह पर हाथ रखा और एक झटका प्यार से दिया। तो सपना की आहहहहहहह निकल गयी। फिर दूसरा झटका मारा तो सपना उइइइईईईईई मां बोली। फिर तीसरा झटका मारा तो आधा लंड चूत में घुस गया। सपना का मुंह खुला रह गया। तब तक चौथे झटके में अमर ने पूरा लंड सपना की चूत में डाल दिया, और बोला, “बाबू कैसा लग रहा है?”

तो सपना बोली: दर्द हो रहा है।

तब तक अमर ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और सटासट सटासट लंड पेलना शुरू किया। तो सपना की चूत से फट फट फट की आवाज निकलने लगी।

सपना रोने लगी, पर अमर अब हैवानों की तरह पेलना शुरू कर दिया था। उसे सपना का दर्द नहीं दिख रहा था‌। वो बस सपना की चूचियों को अपने हाथों से कस कर पकड़ रखा था, और हचक-हचक कर पेल रहा था। सपना की चूचियां लाल हो गयी थी, पर अमर अपने दांतो से सपना की चूचियां काटने लगा, और धक्कम-पेल धक्के मारे जा रहा था। सपना की आंखों में आंसू और चेहरे पर दर्द छलक रहा था।

सपना थर थर थर थर कांप रही थी, पर अमर के हर झटके में सपना के पूरे तन बदन में कम्पन हो रहा था। मैंने आज तक वो पहली चुदाई देखी थी जिसमें कोई बेरहमी से चोद रहा था। समर और विनय मुस्कुरा रहे थे। तभी अमर ने सपना को डाॅगी बनाया और सपना की गांड पर जोर-जोर से चांटा मारने लगा। फिर एक ही झटके में पूरा लंड सपना की चूत में पेल दिया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा।

सपना की गांड और अमर के जांघ के लड़ने से थप थप थप थप थप थप की आवाज पूरे रूम में गूंजने लगी। सपना बिलख कर बोल यही थी कि, “तुम तो बोले थे जोर से नहीं चोदोगे, पर तुम भी।”

तभी अमर ने बोला: बाबू प्लीज चुप रहो ना, मजा आ रहा।

15 मिनट तक जोर-जोर से चुदाई करने के बाद-

अमर: बाबू मेरा होने वाला है बाबू, क्या करूं?

सपना: और जोर से चोदो बाबू, उहहहहहहहहह उम्म्म्म्ममम।

अमर: मजा आ रहा है ना बाबू? बोलो बाबू क्या हुआ? आर यू फीलिंग हैप्पी?

सपना: ओह माय गाॅड बाबू, यू आर टू गुड फकर। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मुझे ऐसे ही जिंदगी भर चोदते रहो।

अमर: पर बाबू मैं झड़ने वाला हूं ओह माय गाड। मैं गया उह्हहहहह बाबूउउउउउउउउउउ। बाबू कहां निकालूं?

सपना: बाबू बाहर निकालना, बाहर निकालना ओहह ओहहहहहह वावववववववकितना गरम माल है आपका। आपने अन्दर क्यूं निकाल दिया बाबू उम्मम्म्म्म्म सो हॉट बाबू।

अमर: ओह यस बेबी, यू आर टू हाट माई डार्लिंग, यू आर सो सैक्सी, यू आर मोस्ट ब्यूटीफुल गर्ल इन द वर्ड।

ये सब बोलते हुए अमर ने सपना को अपनी ओर भींच कर कस कर पकड़ लिया और सपना को किस्स किया।

फिर बोला: मादरचोद साली, तू मेरी रंडी बन कर रहेगी। आज देख तुझे लथेड़-लथेड़ कर चोदूंगा। तू साली बहुत गांड मटकाती थी ना? आज देख तुम्हारी गांड का क्या हाल करूंगा।

आगे क्या हुआ जानने के लिए बने रहिए। कमेंट में बताइए कि कहानी कैसी लगी।

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